बांके बिहारी आरती (Banke Bihari Ji Ki Aarti) Hindi

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बांके बिहारी आरती (Banke Bihari Ji Ki Aarti) Hindi

बांके बिहारी आरती की शुरुआत “श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं, हे गिरिधर तेरी आरती गाऊं।” से होती है। बाँके बिहारी अथवा श्री कृष्ण पूजा के बाद श्री बाँके बिहारी आरती गायी जाती है। बाँके बिहारी ही नहीं बल्कि सभी देवो देवताओं की पूजा को आरती के साथ ही सम्पन्न किया जाता है।

बांके बिहारी भगवान कृष्ण राधा का एकाकार विग्रह रूप है। इस स्वामी हरिदास जी के अनुरोध पर भगवान कृष्ण और राधा ने ये रूप लिया था। उनके इस रूप को स्वामी हरिदास जी ने ही बांके बिहारी नाम दिया। माना जाता है इस विग्रह रूप के जो भी दर्शन करता उसकी सभी कामनाएं पूर्ण होती हैं।

भगवान को अर्पित की जाने वाली सेवाएं इस तरह की शैली में बनाई जाती हैं, जैसे कि एक छोटे बच्चे का पालन-पोषण करना। बांके बिहारी वाक्यांश में, ‘बांके’ शब्द ‘तीन स्थानों पर झुकना’ और ‘बिहारी’ का अर्थ ‘सर्वोच्च भोक्ता’ है। कृष्ण को सर्वोच्च भोक्ता माना जाता है क्योंकि वे जानते थे कि जीवन के हर पहलू में रस कैसे खोजा जाता है।

बांके बिहारी आरती – Banke Bihari Ji Ki Aarti

श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं,
हे गिरिधर तेरी आरती गाऊं।
आरती गाऊं प्यारे आपको रिझाऊं,
श्याम सुन्दर तेरी आरती गाऊं ।
श्री बांके बिहारी…

मोर मुकुट प्यारे शीश पे सोहे,
प्यारी बंसी मेरो मन मोहे ।
देख छवि बलिहारी मैं जाऊं ।
श्री बांके बिहारी…

चरणों से निकली गंगा प्यारी,
जिसने सारी दुनिया तारी ।
मैं उन चरणों के दर्शन पाऊं ।
श्री बांके बिहारी…

दास अनाथ के नाथ आप हो,
दुःख सुख जीवन प्यारे साथ आप हो ।
हरी चरणों में शीश झुकाऊं ।
श्री बांके बिहारी…

श्री हरीदास के प्यारे तुम हो।
मेरे मोहन जीवन धन हो।
देख युगल छवि बलि बलि जाऊं।
श्री बांके बिहारी…

श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं,
हे गिरिधर तेरी आरती गाऊं।
आरती गाऊं प्यारे आपको रिझाऊं,
श्याम सुन्दर तेरी आरती गाऊं।

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