अष्टलक्ष्मी स्तोत्र – Spiritual Stotram for Blessings 2025 - Summary
अष्टलक्ष्मी स्तोत्र एक बहुत लोकप्रिय और पवित्र स्तोत्र है, जो माँ लक्ष्मी के आठ दिव्य रूपों को समर्पित है। इस अष्टलक्ष्मी स्तोत्र के ज़रिए भक्तगण धन, समृद्धि, सौभाग्य, शांति, विद्या, धैर्य, सन्तान और ऐश्वर्य पाने के लिए माँ लक्ष्मी से आशीर्वाद मांगते हैं। यह स्तोत्र देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा पाने का एक प्रभावशाली जरिया माना जाता है। 2025 में भी, यह स्तोत्र अपनी आध्यात्मिक महत्ता बनाए हुए है, खासकर दीपावली और अन्य पावन अवसरों पर इसका पाठ बड़ी श्रद्धा से किया जाता है।
अष्टलक्ष्मी स्तोत्र PDF डाउनलोड के लिए मुख्य जानकारी
अगर आप अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का आधिकारिक PDF डाउनलोड करना चाहते हैं, तो यह सुविधा आपकी मदद के लिए उपलब्ध है। इस PDF में आप आठों लक्ष्मी स्वरूपों का पूरा पाठ और उनका अर्थ भी पा सकते हैं। PDF डाउनलोड करके आप इसे आसानी से कहीं भी, कभी भी पढ़ सकते हैं और अपने जीवन में माँ लक्ष्मी की कृपा पा सकते हैं।
अष्टलक्ष्मी के आठ स्वरूपों का संक्षिप्त परिचय
अष्टलक्ष्मी स्तोत्र में बताए गए आठ स्वरूप अलग-अलग तरह की समृद्धि का प्रतीक हैं। इनमें आदिलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, धैर्यलक्ष्मी, गजलक्ष्मी, सन्तानलक्ष्मी, विजयलक्ष्मी, विद्यालक्ष्मी और धनलक्ष्मी शामिल हैं। हर रूप अपने आप में खास आशीर्वाद और लाभ लेकर आता है जो आपके जीवन में सौभाग्य और सफलता लाता है।
स्तोत्र का महत्व और आध्यात्मिक लाभ
अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का नियमित पाठ न केवल धन-धान्य की प्राप्ति करता है, बल्कि मानसिक शांति, ज्ञान की वृद्धि, कष्टों का दूर होना और खुशहाली को बढ़ाता है। यह स्तोत्र भक्तों को मनोबल देता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा भरता है। इसके जप और पाठ से माँ लक्ष्मी की विशेष कृपा बनी रहती है।
आदिलक्ष्मी
सुमनसवन्दित सुन्दरि माधवि, चन्द्र सहोदरि हेममये ।।
मुनिगणमण्डित मोक्षप्रदायिनि, मञ्जुळभाषिणि वेदनुते ।।
पङ्कजवासिनि देवसुपूजित, सद्गुणवर्षिणि शान्तियुते ।।
जयजय हे मधुसूदन कामिनि, आदिलक्ष्मि सदा पालय माम् ।। १ ।।
धान्यलक्ष्मी
अहिकलि कल्मषनाशिनि कामिनि, वैदिकरूपिणि वेदमये ।।
क्षीरसमुद्भव मङ्गलरूपिणि, मन्त्रनिवासिनि मन्त्रनुते ।।
मङ्गलदायिनि अम्बुजवासिनि, देवगणाश्रित पादयुते ।।
जयजय हे मधुसूदन कामिनि, धान्यलक्ष्मी सदा पालय माम् ।। २ ।।
धैर्यलक्ष्मी
जयवरवर्णिनि वैष्णवि भार्गवि, मन्त्रस्वरूपिणि मन्त्रमये ।।
सुरगणपूजित शीघ्रफलप्रद, ज्ञानविकासिनि शास्त्रनुते ।।
भवभयहारिणि पापविमोचनि, साधुजनाश्रित पादयुते ।।
जयजय हे मधुसूदन कामिनि, धैर्यलक्ष्मी सदा पालय माम् ।। ३ ।।
गजलक्ष्मी
जयजय दुर्गतिनाशिनि कामिनि, सर्वफलप्रद शास्त्रमये ।।
रथगज तुरगपदादि समावृत, परिजनमण्डित लोकनुते ।।
हरिहर ब्रह्म सुपूजित सेवित, तापनिवारिणि पादयुते ।।
जयजय हे मधुसूदन कामिनि, गजलक्ष्मी रूपेण पालय माम् ।। ४ ।।
सन्तानलक्ष्मी
अहिखग वाहिनि मोहिनि चक्रिणि, रागविवर्धिनि ज्ञानमये ।।
गुणगणवारिधि लोकहितैषिणि, स्वरसप्त भूषित गाननुते ।।
सकल सुरासुर देवमुनीश्वर, मानववन्दित पादयुते ।।
जयजय हे मधुसूदन कामिनि, सन्तानलक्ष्मी त्वं पालय माम् ।। ५ ।।
विजयलक्ष्मी
जय कमलासनि सद्गतिदायिनि, ज्ञानविकासिनि गानमये ।।
अनुदिनमर्चित कुङ्कुमधूसर-भूषित वासित वाद्यनुते ।।
कनकधरास्तुति वैभव वन्दित, शङ्कर देशिक मान्य पदे ।।
जयजय हे मधुसूदन कामिनि, विजयलक्ष्मी सदा पालय माम् ।। ६ ।।
विद्यालक्ष्मी
प्रणत सुरेश्वरि भारति भार्गवि, शोकविनाशिनि रत्नमये ।।
मणिमयभूषित कर्णविभूषण, शान्तिसमावृत हास्यमुखे ।।
नवनिधिदायिनि कलिमलहारिणि, कामित फलप्रद हस्तयुते ।।
जयजय हे मधुसूदन कामिनि, विद्यालक्ष्मी सदा पालय माम् ।। ७ ।।
धनलक्ष्मी
धिमिधिमि धिंधिमि धिंधिमि धिंधिमि, दुन्दुभि नाद सुपूर्णमये ।।
घुमघुम घुंघुम घुंघुम घुंघुम, शङ्खनिनाद सुवाद्यनुते ।।
वेदपुराणेतिहास सुपूजित, वैदिकमार्ग प्रदर्शयुते ।।
जयजय हे मधुसूदन कामिनि, धनलक्ष्मी रूपेण पालय माम् ।। ८ ।।
अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ केवल आध्यात्मिक उन्नति का जरिया नहीं है, बल्कि यह आपके जीवन में समृद्धि और सुख-शांति का रास्ता भी खोलता है। भक्तजन इस स्तोत्र का PDF डाउनलोड करके नियमित रूप से पढ़ सकते हैं और माँ लक्ष्मी की विशेष कृपा पा सकते हैं। आप नीचे दिए गए लिंक से सीधे अष्टलक्ष्मी स्तोत्र PDF डाउनलोड कर सकते हैं और ऑनलाइन भी इसका पाठ कर सकते हैं।
साथ ही देखें – Ashtalakshmi Stotram Lyrics in English