अध्यात्म उपनिषद (Adhyatma Upanishad) - Summary
अध्यात्म उपनिषद की जानकारी
अध्यात्म उपनिषद पर वार्ता तीन ध्यान शिविरों में से अंतिम में थी जिसमें मेगा-श्रृंखला ‘दैट आर्ट तू’ शामिल थी। बातचीत हिंदी और अंग्रेजी में होती थी। तीनों शिविरों के अवलोकन के लिए ‘दैट आर्ट तू’ के नोट्स देखें, और हिंदी प्रवचन शीर्षकों के लिए यहां चर्चा करें। फिंगर पॉइंटिंग टू द मून के रूप में अंग्रेजी में अनुवादित।
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अध्यात्म उपनिषद (अध्यात्म) या अध्यात्मोपनिषद संस्कृत में लिखे गए 108 उपनिषदिक हिंदू ग्रंथों में से एक है। यह शुक्ल यजुर्वेद या श्वेत यजुर्वेद के तहत 19 उपनिषदों में से एक है। इसे एक सामान्य (गैर-सांप्रदायिक) उपनिषद के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इसे सुर्य अवस्थी उपनिषद् के नाम से भी जाना जाता है। उपनिषद ब्रह्म के स्वरूप की व्याख्या करता है।
अध्यात्म उपनिषद ब्रह्म के शाश्वत रूप का वर्णन करता है, अजन्मा (अजा) जो हृदय के भीतर रहता है। उनके शरीर को पृथ्वी (पृथ्वी), जल (अपा), अग्नि (अग्नि), वायु (वायु), ईथर (आकाश), मन (मानस), बुद्धि (बुद्धि), स्वयं की भावना (अहमकारा), अवचेतन मन के रूप में दर्शाया गया है। या स्मृति (चित्त), अव्यक्त (अव्यक्त), अविनाशी (अक्षरा), और मृत्यु (मृत्यु), ये सभी तत्व अपने भीतर और शरीर के भीतर बिना किसी की जागरूकता के कार्य करते हैं। ब्रह्म को तब भगवान नारायण (विष्णु) के बराबर किया जाता है जो आत्मा में निवास करते हैं और सब कुछ साफ करते हैं और सभी पापों को धोते हैं।
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