Swadeshi Chikitsa Part 3 Book by Rajiv Dixit - Summary
मौजूदा हालात कुछ ऐसे हैं कि आधुनिक चिकित्सा विज्ञानी जिस रफ्तार से नई-नई दवाइयाँ ईजाद कर रहे हैं; नई-नई बीमारियाँ उनसे कहीं ज्यादा तेजी से पैदा हो रही हैं। इस चुनौती का सामना करने और स्वदेशी चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए, “Swadeshi Chikitsa Part 3” पुस्तक को विशेष उद्देश्य से लिखा गया है। यह पुस्तक भाई स्वर्गीय राजीव दीक्षित जी के विचारों पर आधारित है, ताकि आने वाली पीढ़ी आयुर्वेद के माध्यम से गंभीर बीमारियों से लड़ सके।
स्वदेशी चिकित्सा की दिशा में एक कदम
यह पुस्तक न केवल जानकारी देती है, बल्कि आपसे जुड़ी बीमारियों का इलाज करने में मदद भी करती है। इसका उद्देश्य लोगों को स्वदेशी चिकित्सा की ओर आकर्षित करना है। इसमें विभिन्न रोगों की चिकित्सा के बारे में विस्तार से बताया गया है, जिससे आप परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों को समझ सकें और उनका उपयोग कर सकें।
स्वदेशी चिकित्सा भाग 3 विषय सूची (Table of Content)
स्वदेशी चिकित्सा पुस्तक भाग 3 की विषय सूची या Table of Content निम्नलिखित है:
- प्रस्तावना – पेज नंबर 4
- प्रथम अध्याय – अर्श रोग चिकित्सा जैसे: मुत्र्ब्याध, बवासीर, भगंदर आदि (पेज 5 – 31)
- दूसरा अध्याय – अतिसार रोग चिकित्सा जैसे: दस्त, पेचिश आदि (पेज 32 – 51)
- तीसरा अध्याय – ग्रहणी रोग चिकित्सा जैसे: आमाश्य एवं पेट से जुड़े रोग (पेज 52 – 66)
- चौथा अध्याय – मूत्र रोग चिकित्सा (पेज 67 – 75)
- पांचवा अध्याय – प्रमेह रोग चिकित्सा जैसे: मधुमेह, डायबिटीज आदि रोग (पेज 76 – 82)
- छठा अध्याय – विद्रधि रोग चिकित्सा जैसे: पका हुआ फोड़ा (पेज 83 – 90)
- सातवाँ अध्याय – गुल्म रोगों की चिकित्सा जैसे: पेट की गाँठ के रोग (पेज 91 – 111)
- आठवाँ अध्याय – उदर रोग चिकित्सा (पेज 112 – 120)
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