Right to Information Act 2019 - Summary
इस कानून को आरटीआई या (Right to Information Act) राइट टू इन्फाॅरमेशन/सूचना का अधिकार भी कहते है । सूचना पाने का अधिकार एक ऐसा अधिकार जो इस कानून लागू करने वाला राष्ट्र अपने नागरिकों को प्रदान करता है। सूचना अधिकार के द्वारा राष्ट्र अपने नागरिकों को अपनी कार्य और शासन प्रणाली को सार्वजनिक करता है।
लोकतंत्र में देश की जनता अपनी चुनी हुए व्यक्ति को शासन करने का अवसर प्रदान करती है और यह अपेक्षा करती है कि सरकार पूरी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के साथ अपने दायित्वों का पालन करेगी। लेकिन कालान्तर में अधिकांश राष्ट्रों में भ्रष्टाचार बढ़ता गया। भ्रष्टाचार करने के लिए जनविरोधी और अलोकतांत्रिक तरीको को अपनाया गया। लोकतंत्र में मालिक होने के नाते जनता को यह जानने का पूरा अधिकार है, कि जो सरकार उनकी सेवा में है, वह क्या कर रही है।सके लिए यह जरूरी है कि सूचना को जनता के समक्ष रखने एवं जनता को प्राप्त करने का अधिकार प्रदान किया जाए, जो एक कानून द्वारा ही सम्भव है।
Right to Information Act 2019 Hindi
- इस अधिनियम के प्रावधानों के तहत भारत का कोई भी नागरिक किसी भी सरकारी प्राधिकरण से सूचना प्राप्त करने हेतु अनुरोध कर सकता है, यह सूचना 30 दिनों के अंदर उपलब्ध कराई जाने की व्यवस्था की गई है। यदि मांगी गई सूचना जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित है तो ऐसी सूचना को 48 घंटे के भीतर ही उपलब्ध कराने का प्रावधान है।
- इस अधिनियम में यह भी कहा गया है कि सभी सार्वजनिक प्राधिकरण अपने दस्तावेज़ों का संरक्षण करते हुए उन्हें कंप्यूटर में सुरक्षित रखेंगे।
- प्राप्त सूचना की विषयवस्तु के संदर्भ में असंतुष्टि, निर्धारित अवधि में सूचना प्राप्त न होने आदि जैसी स्थिति में स्थानीय से लेकर राज्य एवं केंद्रीय सूचना आयोग में अपील की जा सकती है।
- इस अधिनियम के माध्यम से राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, संसद व राज्य विधानमंडल के साथ ही सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) और निर्वाचन आयोग (Election Commission) जैसे संवैधानिक निकायों व उनसे संबंधित पदों को भी सूचना का अधिकार अधिनियम के दायरे में लाया गया है।
- इस अधिनियम के अंतर्गत केंद्र स्तर पर एक मुख्य सूचना आयुक्त और 10 या 10 से कम सूचना आयुक्तों की सदस्यता वाले एक केंद्रीय सूचना आयोग के गठन का प्रावधान किया गया है। इसी के आधार पर राज्य में भी एक राज्य सूचना आयोग का गठन किया जाएगा।
- यह अधिनियम जम्मू और कश्मीर (यहाँ जम्मू और कश्मीर सूचना का अधिकार अधिनियम प्रभावी है) को छोड़कर अन्य सभी राज्यों पर लागू होता है।
- इसके अंतर्गत सभी संवैधानिक निकाय, संसद अथवा राज्य विधानसभा के अधिनियमों द्वारा गठित संस्थान और निकाय शामिल हैं।
DoPT है इसका नोडल मंत्रालय
- कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (Department of personnel & training-DoPT) सूचना का अधिकार और केंद्रीय सूचना आयोग का नोडल विभाग हैi।
- अधिकांश सार्वजनिक उपक्रमों और प्राधिकरणों को RTI अधिनियम के अंतर्गत लाया गया है।
- केंद्र सरकार के 2200 सरकारी कार्यालयों और उपक्रमों में ऑनलाइन RTI दाखिल करने और उसका जवाब देने की व्यवस्था है। ऐसा इन संस्थानों के कामकाज में अधिकतम पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिये प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए किया गया है।
- आधुनिक तकनीक के उपयोग से RTI दाखिल करने के लिये अब एक पोर्टल और एप्लीकेशन भी उपलब्ध है, जिसकी सहायता से कोई भी नागरिक अपने मोबाइल फोन से किसी भी समय, किसी भी स्थान से RTI के लिये आवेदन कर सकता है।
- राज्य सरकारों को भी RTI पोर्टल शुरू करने की व्यावहारिकता पर विचार करने को कहा गया है।
- राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (National Informatics Centre- NIC) को ऑनलाइन RTI पोर्टल बनाने में राज्य सरकारों की सहायता करने को कहा गया है।
Right to Information Act 2019 also in the English language download in PDF format.