योग चिकित्सा - Summary
योग एक जीवन पद्धति है, जिसे पतंजलि ने क्रमबद्ध ढंग से प्रस्तुत किया था। इसमें यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान व समाधि आठ अंग हैं। योग चिकित्सा के इन अंगों के अभ्यास से सामाजिक तथा व्यक्तिगत आचरण में सुधार आता है, शरीर में ऑक्सीजन युक्त रक्त का भली-भॉति संचार होने से शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, इंद्रियां संयमित होती हैं तथा मन को शांति एवं पवित्रता मिलती है। 😊
योग चिकित्सा के लाभ
योग के अभ्यास से मनोदैहिक विकारों/व्याधियों की रोकथाम, शरीर में प्रतिरोधक शक्ति की बढ़ोतरी तथा तनावपूर्ण परिस्थितियों में सहनशक्ति की क्षमता प्राप्त होती है। ध्यान, जो आठ अंगों में से एक है, यदि नियमित अभ्यास किया जाए तो शारीरिक हानिकारक प्रतिक्रियाओं को घटाने की क्षमता बढ़ती है, जिससे मन को सीधे ही अधिक फलदायक कार्यों में संलग्न किया जा सकता है।
योग चिकित्सा
योग के ग्रंथों में स्वास्थ्य के सुधार, रोगों की रोकथाम तथा रोगों के उपचार के लिए कई आसनों का वर्णन किया गया है। शारीरिक आसनों का चुनाव विवेकपूर्ण ढंग से करना चाहिए। रोगों की रोकथाम, स्वास्थ्य की उन्नति तथा चिकित्सा के उद्देश्यों की दृष्टि से उनका सही चयन कर सही विधि से अभ्यास करना चाहिए।
अध्ययनों से यह प्रदर्शित होता है कि योगिक अभ्यास से बुद्धि तथा स्मरण शक्ति बढ़ती है। इससे थकान एवं तनावों को सहन करने की क्षमता भी बढ़ती है और एकीकृत मनोदैहिक व्यक्तित्व के विकास में भी मदद मिलती है। ध्यान एक और व्यायाम है, जो मानसिक संवेगों में स्थिरता लाता है, और शरीर के मर्मस्थलों के कार्यों को असामान्य होने से रोकता है। अध्ययन से देखा गया है कि ध्यान न केवल इंद्रियों को संयमित करता है, बल्कि तंत्रिका तंत्र को भी नियमित करता है।
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