ब्रह्मचर्य ही जीवन है (Bramhacharya Hi Jeevan Hai) Hindi
ब्रह्मचर्य ही जीवन है (Bramhacharya Hi Jeevan Hai) एक प्रेरणादायक पुस्तक है जो विभिन्न पहलुओं पर विचार करती है, जैसे कि आत्म-निरीक्षण, आत्म-नियंत्रण और आध्यात्मिक विकास। यह किताब ब्रह्मचर्य के महत्व और इसके जीवन में कैसे लाभकारी है, इस पर विचार करती है। यह ग्रन्थ पूर्ण मौलिक है । इसके लेखक स्वामी शिवानन्द नाम के एक युवा गृहस्थ सन्यासी हैं ।
“ब्रह्मचर्य ही जीवन है और वीर्य्यनाश ही मृत्यु है” यह सारगर्भित और महत्वपूर्ण सिद्धान्त अक्षरशः सत्य है । देश में ब्रह्मचर्य का कितना पतन हुआ है यह हम और आप सभी जानते हैं । विद्यार्थियों के साथ २४ घण्टे रहने के कारण हमें अच्छी तरह ज्ञात है कि वीर्य्यनाश के कैसे कैसे विचित्र विचित्र कृत्रिम उपाय निकाले गये हैं, जिनके स्मरण मात्र से शरीर के रोंगटे खड़े हो जाते हैं । वीस वीस, पचीस पचीस वर्ष के नवयुवकों के कपोल पिचके हुये हैं और ये इस तरुण अवस्था ही में बूढ़े दिखलाई पड़ते हैं ।
इसमे इन नवजवानों का भी दोष नही है । दोष है शिक्षकों और विशेष कर आप लोगों का, जो उनके माता पिता होने का दम भरते हैं। अधिकतर शिक्षक पाठशालाओं मे केवल इतिहास, भूगोल, गणित और अंगरेजी आदि विषय पढ़ाना और उन्हें घुटवाना ही, अपना मुख्य ध्येय समझते हैं, ब्रह्मचर्य विषय पर किसी प्रकार की चर्चा करना नापसन्द करते हैं । लड़के गाली वकते हैं, व्यभिचार करते हैं और आप ( उनके माता – पिता ) ऐसी ऐसी गम्भीर और ध्यान देने योग्य वातों को यों ही टाल देते हैं ।
ब्रह्मचर्य ही जीवन है (Bramhacharya Hi Jeevan Hai) Book Download
- लेखक की भूमिका
- ब्रह्मचर्य की महिमा
- हस्त-मैथुन
- हस्तमैथुन और उसके दुष्परिणाम
- वीर्य्यनाश के मुख्य लन्नण
- माता और पिताओं का कर्तव्य
- वैद्य व डाक्टर
- ब्रह्मचर्य व आरोग्य
- ब्रह्मचर्य के विषय में प्रमाद
- ब्रह्मचर्य व आश्रम चतुष्टय
- ब्रह्मचर्य और विद्यार्थी
- काम का दमन
- प्रकृति का स्वभाव
- मन व डान्द्रयाँ
- वीर्य की उत्पत्ति
- गृहस्थी मे ब्रह्मचर्य्य
- बाल विवाह
- वीर्य का प्रचण्ड प्रताप
- ज्ञान का फल मृत्यु है
- वीर्यग्ना के अनूठे नियम
- पवित्र संकल्प
- पवित्र मातृभाव दृष्टि
- सादी रहन सहन
- सत्सङ्गति
- सद्ग्रन्थावलोकन
- घर्षण – स्नान
- सादा व ताजा अल्पाहार
- निर्व्यसनता
- दो बार मलमूत्र त्याग
- इन्द्रिय स्नान
- नियमित व्यायाम
- जन्दी सोना व जल्दी जागना
- प्राणायाम
- उपवास
- दृढ़प्रतिज्ञा
- डायरी
- सततोद्योग
- स्वधर्मानुष्ठान
- नियमितता
- लंगोटवन्द रहना
- खड़ाऊँ
- पैदल चलना
- लोकनिन्दा का भय
- ईश्वर भक्ति
- नित्य नियमावली का पाठ
- सम्पूर्ण सुधारों का दादा ब्रह्मचर्य
- हमारी भारत माता
- परिशिष्ट ( योग चिकित्सा)
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