पंचतंत्र की कहानियाँ (Panchtantra Ki Kahaniya Hindi)

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पंचतंत्र की कहानियाँ (Panchtantra Ki Kahaniya Hindi)

The Panchatantra is a collection of short stories from India, written more than 5000 years ago. This is a collection of stories from that legendary collection. The stories inculcate moral values in children in a subtle and fun manner. Enjoy the stories, where plants and animals can converse with human beings too.

पंचतंत्र की कहानियां बच्चों को पढ़ने में काफी अच्छी लगती हैं और यह कहानियां उन्हे बहुत अधिक पसंद आती हैं। यह कहानियां पढ़ने में जितनी अधिक मजेदार और रोमांचक होती हैं उतने ही शिक्षा और प्रेरणा इन कहानियों से मिलती हैं। आज इस लेख में ऐसे ही पंचतंत्र कहानियों का वर्णन किया गया है।

101 Panchatantra Stories in Hindi

  1. विद्यार्थी और शेर
  2. एक ब्राह्मण का सपना
  3. खीला खींचने वाले एक बन्दर की कहानी
  4. सियार और दुन्दुभि
  5. सिंहनी और सियार के बच्चे की कहानी
  6. दंतिल और गोरंभ की कहनी
  7. सियार और दूती आदि की कहानी
  8. विष्णु का रूप धारण करने वाले बुनकर
  9. गौरय्या और बंदर की कथा
  10. बगुला, काले सांप और नेवले की कथा
  11. लोहे की तराजू और बनिएं की कथा
  12. राजा और बंदर की कथा
  13. परिव्राजक और चूहे की कथा
  14. शाण्डिली द्वारा तिल-चूर्ण बेचने की कथा
  15. भील, सूअर और सियार की कथा
  16. राज-कन्या की कथा
  17. कौओं के जोड़े और काले नाग की कथा
  18. सिंह और खरगोश की कथा
  19. नील के बरतन में गिरे हुए सियार की कथा
  20. सिंह, ऊँट, सियार और कौए की कथा
  21. काठ से गिरे हुए कछुए की कहानी
  22. कौओं और उल्लुओं के बीच पुराने वैर की कहानी
  23. सेमिलक और छिपे धन की कथा
  24. बैल के पीछे-पीछे चलने वाले सियार की कहानी
  25. धर्मबुद्धी और उसके मित्र की कहानी
  26. मेढक और काले सांप की कहानी
  27. खरगोश और हाथी की कहानी
  28. गौरय्या और खरगोश की कहानी
  29. तीन धूर्तों और ब्राह्नण की कहानी
  30. ब्राह्ण और साँप की कहानी
  31. सोने के हंस और सोने की चिड़िया की कथा
  32. बूढ़े बनिये की स्त्री और चोर की कहानी
  33. ब्राह्नण, चोर और पिशाच की कहानी
  34. सिंह, सियार और गुफा की कहानी
  35. सिंह और गधे की कहानी
  36. युधिष्ठिर कुम्हार की कथा
  37. सोने की बीट देने वाले पक्षी और शिकारी की कथा
  38. काले साँप और चींटी की कहनी
  39. मूर्ख पंडित की कहानी
  40. गधे और धोबी की कहानी
  41. कुत्ते की कहानी
  42. चकधर की कहानी

विद्यार्थी और शेर की कहानी

विद्यार्थी और शेर की कहानी :- एक छोटे शहर में चार ब्राह्मण विद्यार्थी रहा करते थे। वे सभी एक-दूसरे के काफी अच्छे मित्र थे। उनमें से तीन दोस्त पढ़ाई-लिखाई में बहुत अच्छे थे और साथ ही बहुत चालाक और चतुर थे। चौथा विद्यार्थी पढ़ाई में अच्छा नहीं था लेकिन उसे दुनियादारी की काफी अच्छी समझ थी। एक दिन उन चारों दोस्तों में से एक ने बोला, “अगर हम लोग राजाओं के दरबार में जाए तो अपनी बुद्धि और समझ के बल पर बहुत सोहरत और पैसा कमा सकते हैं।” सभी दोस्तों ने उसकी बात को मानी और यात्रा पर निकल गए।

रास्ते में उन्हें शेर की खाल और कुछ हड्डियाँ पड़ी हुई मिलीं। एक विद्यार्थी जोश में आकर बोला, “हमें अपने ज्ञान और बुद्धि की परीक्षा करनी चाहिए। चलो इस शेर को फिर से जीवित करने की कोशिश करते हैं। उसने बोला कि मैं इसके कंकाल को ठीक तरह से व्यवस्थित कर सकता हूँ।” फिर दूसरे दोस्त ने बोला कि “मैं कंकाल में माँस और खून भर सकता हूँ,” और इसके साथ तीसरे विद्यार्थी ने भी शेखी बघारी और बोला कि “मैं इसके शरीर में जान डाल सकता हूँ और यह  मरा हुआ शेर फिर से जीवित हो जाएगा।”

चौथे विद्यार्थी यह सब सुनकर चुप रहा उसने कुछ नहीं बोल और चुपचाप तीनों विद्यार्थियों की बातें सुनता रहा। कुछ समय बाद उसने अपना सिर हिलाया और कहा, “ठीक है, तुम लोगों को जो जैसा लगे, वैसा करो। किंतु पहले मुझे किसी पेड़ पर चढ़ जाने दो। तुम लोग बहुत होशियार हो। मुझे तुम सब के बुद्धि और ज्ञान पूरा विश्वाश है। तुम लोग इस मरे हुए शेर को अवश्य जिंदा कर लोगे और शीघ्र ही यह मरा हुआ शेर जीवित होकर दहाड़ मारने लगेगा। हालाँकि मुझे इस बात पर पूरा विश्वास है कि तुम लोग इस शेर का स्वभाव बिल्कुल भी नहीं बदल पाओगे।

उसने कहा कि शेर कभी घास नहीं खा खाता, जैसे मेमना कभी माँस नहीं खाता।” बाकी सभी विद्यार्थी उसकी बात सुनकर हँसने लगे और उससे कहा कि “तुम डरपोक हो, क्योंकि तुम्हें अपनी जान गँवाने का डर है। शर्म करो! तुम्हें हमारे बुद्धि और ज्ञान पर तनिक भरोसा नही है, किंतु तुम यह नहीं जानते  कि हम लोग जिस भी जानवर को जीवित करेंगे, वह पूरी तरह हमारे इशारों पर ही कार्य करेगा। हम जिस जानवर को जीवत करेंगे, वह जानवर भला हम लोगो पर क्यों हमला करेगा?

खैर, तुम्हारी जैसी मर्जी,तुम चाहते हो तो छिप जाओ और हमारा कमाल देखो!” ओर वह विद्यार्ती दौड़कर एक बड़े से पेड़ पर चढ़ गया। उसके सारे मित्र उसे देखकर फिर से हँसने लगे। जब तीसरे विद्यार्थी ने उस मरे हुए शेर के शरीर में जान डाली तो शेर दहाड़ मारकर खड़ा हो गया। जीवित होते ही वह तीनों विद्यार्थियों पर झपटा और उन्हें मारकर खा गया। चौथे विद्यार्थी ने ईश्वर को धन्यवाद दिया और कहा कि उसने उसे दुनियादारी की इतनी समझ दी कि उसने ईश्वर और उसके बनाए हुऐ प्राणियों के काम में दखल नहीं दिया।

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