वह शक्ति हमें दो दयानिधे
वह शक्ति हमें दो दयानिधे प्रार्थना के माध्यम से कवि भगवान से प्रार्थना करता है कि हे दयानिधे हमें ऐसा वरदान दीजिये जिससे हम मानव जीवन को सुधार सकें तथा अच्छे मार्ग की ओर अग्रसर हो सकें। इस प्रार्थना के के लेखक के संबंध में लोगों के मध्य अलग-अलग मतभेद हैं। कई लोगों का मानना है कि इस प्रार्थना के लेखक मुरारीलाल शर्मा बालबंधु थे।
परंतु इसी के चलते कई विद्वानों का यह भी मानना है कि ये कविता श्री परशुराम पान्डे जी द्वारा लिखित है। परशुराम पान्डे जी मध्यप्रदेश के रीवा जिले की गुढ तहसील में द्वारी ग्राम के निवासी थे। तो मित्रों, अगर आप वह शक्ति हमें दो दयानिधे प्रार्थना को पीडीएफ़ प्रारूप में डाउनलोड करना चाहते हैं हमारे इस लेख को अंत तक पढ़ें।
वह शक्ति हमें दो दयानिधे
वह शक्ति हमें दो दयानिधे,
कर्त्तव्य मार्ग पर डट जावें।
पर-सेवा पर-उपकार में हम,
जग(निज)-जीवन सफल बना जावें॥
॥ वह शक्ति हमें दो दयानिधे…॥
हम दीन-दुखी निबलों-विकलों के,
सेवक बन संताप हरें।
जो हैं अटके, भूले-भटके,
उनको तारें खुद तर जावें॥
॥ वह शक्ति हमें दो दयानिधे…॥
छल, दंभ-द्वेष, पाखंड-झूठ,
अन्याय से निशिदिन दूर रहें।
जीवन हो शुद्ध सरल अपना,
शुचि प्रेम-सुधा रस बरसावें॥
॥ वह शक्ति हमें दो दयानिधे…॥
निज आन-बान, मर्यादा का,
प्रभु ध्यान रहे अभिमान रहे।
जिस देश-जाति* में जन्म लिया,
बलिदान उसी पर हो जावें॥
॥ वह शक्ति हमें दो दयानिधे…॥
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