Swami Samarth Tarak Mantra (तारक मंत्र) - Summary
प्रिय पाठक, यदि आप Swami Samarth Tarak Mantra PDF / तारक मंत्र PDF की खोज कर रहे हैं, तो आप बिल्कुल सही पृष्ठ पर हैं। स्वामी समर्थ मंत्र को अक्कलकोट के स्वामी के नाम से भी जाना जाता है। अक्कलकोट भारत के महाराष्ट्र राज्य के सोलापुर ज़िले का एक अद्भुत शहर है। यह सोलापुर से लगभग 40 किमी दक्षिण-पूर्व में स्थित है और महाराष्ट्र तथा कर्नाटक राज्यों के बीच की सीमा के करीब है।
स्वामी समर्थ का योगदान
स्वामी समर्थ ने पूरे भारतीय उपमहाद्वीप की यात्राएँ की और अंततः महाराष्ट्र के अक्कलकोट शहर में अपने निवास को स्थिर किया। कहा जाता है कि वे 1856 में सितंबर या अक्टूबर के बुधवार को अक्कलकोट पहुंचे थे। स्वामी समर्थ लगभग 22 वर्षों तक अक्कलकोट में रहे। उनके बारे में यह भी माना जाता है कि वे नरसिंह सरस्वती का पुनर्जन्म हैं, जो दत्तात्रेय संप्रदाय के बहुत महत्वपूर्ण आध्यात्मिक गुरु रहे हैं।
स्वामी समर्थ तारक मंत्र – Tarak Mantra Lyrics
निशंक होई रे मना,निर्भय होई रे मना।
प्रचंड स्वामीबळ पाठीशी, नित्य आहे रे मना।
अतर्क्य अवधूत हे स्मर्तुगामी,
अशक्य ही शक्य करतील स्वामी।।१।।
जिथे स्वामीचरण तिथे न्युन्य काय,
स्वये भक्त प्रारब्ध घडवी ही माय।
आज्ञेवीना काळ ही ना नेई त्याला,
परलोकी ही ना भीती तयाला
अशक्य ही शक्य करतील स्वामी।।२।।
उगाची भितोसी भय हे पळु दे,
वसे अंतरी ही स्वामीशक्ति कळु दे।
जगी जन्म मृत्यु असे खेळ ज्यांचा,
नको घाबरू तू असे बाळ त्यांचा
अशक्य ही शक्य करतील स्वामी।।३।।
खरा होई जागा श्रद्धेसहित,
कसा होसी त्याविण तू स्वामिभक्त।
आठव! कितीदा दिली त्यांनीच साथ,
नको डगमगु स्वामी देतील हात
अशक्य ही शक्य करतील स्वामी।।४।।
विभूति नमननाम ध्यानार्दी तीर्थ,
स्वामीच या पंचामृतात।
हे तीर्थ घेइ आठवी रे प्रचिती,
ना सोडती तया, जया स्वामी घेती हाती ।।५।।
अशक्य ही शक्य करतील स्वामी
अशक्य ही शक्य करतील स्वामी
।। श्री स्वामी समर्थ ।
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