देवीभागवत पुराण (Shreemad Devi Bhagvat Puran) Hindi

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Shreemad Devi Bhagvat Puran - देवीभागवत पुराण Hindi

देवीभागवत पुराण परम पवित्र वेद की प्रसिद्ध श्रुतियों के अर्थ से अनुमोदित, अखिल शास्त्रों के रहस्यका स्रोत तथा आगमों में अपना प्रसिद्ध स्थान रखता है। यह सर्ग, प्रतिसर्ग, वंश, वंशानुकीर्ति, मन्वन्तर आदि पाँचों लक्षणों से पूर्ण हैं। पराम्बा भगवती के पवित्र आख्यानों से युक्त है। इस पुराण में लगभग १८,००० श्लोक है।

देवी पुराण के पढ़ने एवं सुनने से भयंकर रोग, अतिवृष्टि, अनावृष्टि भूत-प्रेत बाधा, कष्ट योग और दूसरे आधिभौतिक, आधिदैविक तथा आधिदैहिक कष्टों का निवारण हो जाता है। सूतजी ने इसके लिए एक कथा का उल्लेख करते हुए कहा-वसुदेव जी द्वारा देवी भागवत पुराण को पारायण का फल ही था कि प्रसेनजित को ढूंढ़ने गए श्रीकृष्ण संकट से मुक्त होकर सकुशल घर लौट आए थे। इस पुराण के श्रवण से दरिद्र धनी, रोगी-नीरोगी तथा पुत्रहीन स्त्री पुत्रवती हो जाती है। ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शूद्र चतुर्वर्णों के व्यक्तियों द्वारा समान रूप से पठनीय एवं श्रवण योग्य यह पुराण आयु, विद्या, बल, धन, यश तथा प्रतिष्ठा देने वाला अनुपम ग्रंथ है।

श्रीमद देवी भागवत पुराण

एक बार भगवत्-अनुरागी तथा पुण्यात्मा महर्षियों ने श्री वेदव्यास के परम शिष्य सूतजी से प्रार्थना कि- हे ज्ञानसागर ! आपके श्रीमुख से विष्णु भगवान और शंकर के देवी चरित्र तथा अद्भुत लीलाएं सुनकर हम बहुत सुखी हुए। ईश्वर में आस्था बढ़ी और ज्ञान प्राप्त किया। अब कृपा कर मानव जाति को समस्त सुखों को उपलब्ध कराने वाले, आत्मिक शक्ति देने वाले तथा भोग और मोक्ष प्रदान कराने वाले पवित्रतम पुराण आख्यान सुनाकर अनुगृहीत कीजिए। ज्ञानेच्छु और विनम्र महात्माओं की निष्कपट अभिलाषा जानकर महामुनि सूतजी ने अनुग्रह स्वीकार किया। उन्होंने कहा-जन कल्याण की लालसा से आपने बड़ी सुंदर इच्छा प्रकट की। मैं आप लोगों को उसे सुनाता हूँ। यह सच है कि श्री मद् देवी भागवत् पुराण सभी शास्त्रों तथा धार्मिक ग्रंथों में महान है। इसके सामने बड़े-बड़े तीर्थ और व्रत नगण्य हैं। इस पुराण के सुनने से पाप सूखे वन की भांति जलकर नष्ट हो जाते हैं, जिससे मनुष्य को शोक, क्लेश, दु:ख आदि नहीं भोगने पड़ते। जिस प्रकार सूर्य के प्रकाश के सामने अंधकार छंट जाता है, उसी प्रकार भागवत् पुराण के श्रवण से मनुष्य के सभी कष्ट, व्याधियां और संकोच समाप्त हो जाते हैं। महात्माओं ने सूतजी से भागवत् पुराण के संबंध में ये जिज्ञासाएं रखीं:

  • पवित्र श्रीमद् देवी भागवत् पुराण का आविर्भाव कब हुआ ?
  • इसके पठन-पाठन का समय क्या है ?
  • इसके श्रवण-पठन से किन-किन कामनाओं की पूर्ति होती है ?
  • सर्वप्रथम इसका श्रवण किसने किया ?
  • इसके पारायण की विधि क्या है ?

पौराणिक महत्त्व

श्री कृष्ण प्रसेनजित को ढूंढ़ने के प्रयास में खो गए थे जो श्री देवी भगवती के आशीर्वाद से सकुशल लौट आए। यह वृत्तांत महर्षियों की इच्छा से विस्तार से सुनाते हुए श्री सूतजी कहने लगे-सज्जनों ! बहुत पहले द्वारका पुरी में भोजवंशी राजा सत्राजित रहता था। सूर्य की भक्ति-आराधना के बल पर उसने स्वमंतक नाम की अत्यंत चमकदार मणि प्राप्त की। मणि की क्रांति से राजा स्वयं सूर्य जैसा प्रभा-मंडित हो जाता था। इस भ्रम में जब यादवों ने श्रीकृष्ण से भगवान सूर्य के आगमन की बात कही, तब अंतर्यामी कृष्ण ने यादवों की शंका का निवारण करते हुए कहा कि आने वाले महानुभाव स्वमंतक मणिधारी राजा सत्राजित हैं, सूर्य नहीं। स्वमंतक मणि का गुण था कि उसको धारण करने वाला प्रतिदिन आठ किलो स्वर्ण प्राप्त करेगा। उस प्रदेश में किसी भी प्रकार की मानवीय या दैवीय विपत्ति का कोई चिह्न तक नहीं था। स्वमंतक मणि प्राप्त करने की इच्छा स्वयं कृष्ण ने भी की लेकिन सत्राजित ने अस्वीकार कर दिया।

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3 thoughts on “देवीभागवत पुराण (Shreemad Devi Bhagvat Puran)

  1. I am confused i want to download सम्पूर्ण श्री महादेवी कथा there are other downloads part one and part two. I have downloaded part 1 but do not find part 2? Pl help

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