Neel Saraswati Stotram – नील सरस्वती स्तोत्र Sanskrit PDF

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Neel Saraswati Stotram – नील सरस्वती स्तोत्र in Sanskrit

(नील सरस्वती स्तोत्र) Neel Saraswati Stotram

नील सरस्वती स्तोत्रम देवी सरस्वती को समर्पित एक अत्यंत ही शक्तिशाली स्तोत्र है जिसके पाठ से व्यक्ति को ज्ञान की प्राप्ति होती है। यह एक सिद्ध सरस्वती स्तोत्र है जिसके प्रभाव से साधक की बुद्धि तीक्ष्ण होती है तथा उसके अंदर आत्मज्ञान जागृत होता है।

अष्टमी, नवमी व चतुर्दशी के दिन नील सरस्वती स्तोत्र का पाठ करना अत्यंत लाभकारी सिद्ध होता है। कई साधकों को तो नील सरस्वती स्तोत्र अर्थ सहित कंठस्थ होता है और वह इसका योनिमुद्रा में आसन लगा कर पाठ करते हैं। यह एक शत्रु नाशक नील सरस्वती स्तोत्र है जो साधक के समस्त शत्रुओं का नाश कर देता है।

नील सरस्वती स्तोत्र – Neel Saraswati Stotram

॥ अथ श्रीनील सरस्वतीस्तोत्रम् ॥

॥ श्री गणेशाय नमः ॥

घोररूपे महारावे सर्वशत्रुवशङ्करी । var  क्षयङ्करी

भक्तेभ्यो वरदे देवि त्राहि मां शरणागतम् ॥ १॥

सुराऽसुरार्चिते देवि सिद्धगन्धर्वसेविते ।

जाड्यपापहरे देवि त्राहि मां शरणागतम् ॥ २॥

जटाजूटसमायुक्ते लोलजिह्वानुकारिणी ।

द्रुतबुद्धिकरे देवि त्राहि मां शरणागतम् ॥ ३॥

सौम्यरूपे घोररूपे चण्डरूपे नमोऽस्तु ते । var  क्रोधरूपे

दृष्टिरूपे नमस्तुभ्यं त्राहि मां शरणागतम् ॥ ४॥ var  सृष्टिरूपे

जडानां जडतां हम्सि भक्तानां भक्तवत्सले । var  जडतां भजतां

मूढतां हर मे देवि त्राहि मां शरणागतम् ॥ ५॥

ह्रूं ह्रूंकारमये देवि बलिहोमप्रिये नमः ।

उग्रतारे नमस्तुभ्यं त्राहि मां शरणागतम् ॥ ६॥

बुद्धिं देहि यशो देहि कवित्वं देहि देहि मे ।

कुबुद्धिं हर मे देवि त्राहि मां शरणागतम् ॥ ७॥ मूढत्वं

इन्द्रादिदेव सद्वृन्दवन्दिते करुणामयी । var  इन्द्रादिदिविषद् वृन्द

तारे ताराधिनाथास्ये त्राहि मां शरणागतम् ॥ ८॥

॥ अथ फलश्रुतिः ॥

अष्टम्यां च चतुर्दश्यां नवम्यां यः पठेन्नरः । चैकचेतसः

षण्मासैः सिद्धिमाप्नोति नाऽत्र कार्या विचारणा ॥ १॥

मोक्षार्थी लभते मोक्षं धनार्थी धनमाप्नुयात् ।

विद्यार्थी लभते विद्यां तर्कव्याकरणादिकाम् ॥ २॥

इदं स्तोत्रं पठेद्यस्तु सततं श्रद्धयान्वितः । सधनं लभते नरः ।

तस्य शत्रुः क्षयं याति महाप्रज्ञा च जायते ॥ ३॥

पीडायां वापि सङ्ग्रामे जप्ये दाने तथा भये ।

य इदं पठति स्तोत्रं शुभं तस्य न संशयः ॥ ४॥

स्तोत्रेणानेन देवेशि स्तुत्वा देवीं सुरेश्वरीम् ।

सर्वकाममवाप्नोति सर्वविद्यानिधिर्भवेत् ॥ ५॥ सर्वान् कामानवाप्नोति

इति ते कथितं दिव्यं स्तोत्रं सारस्वतप्रदम् ।

अस्मात्परतरं नास्ति स्तोत्रं तन्त्रे महेश्वरी ॥ ६॥

॥ इति बृहन्निलतन्त्रे द्वितीयपटले तारिणीनीलसरस्वतीस्तोत्रं समाप्तम् ॥

(नील सरस्वती स्तोत्र हिंदी/संस्कृत पाठ विधि) Neel Saraswati Stotram Path Vidhi :

  1. प्रतिदिन नील सरस्वती स्तोत्र का पाठ करने आप को चमत्कारिक अनुभव होंगे किन्तु यदि आप देवी सरस्वती की विशेष कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो विशेषतः आपको अष्टमी, नवमी तथा चतुर्दशी को इस स्तोत्र का पाठ अवश्य करना चाहिए।
  2. सर्वप्रथम स्नान करके स्वच्छ श्वेत व पीले वस्त्र धारण करें।
  3. एक पीले आसान पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके पद्मासन में बैठ जाएँ।
  4. अब अपने सामने लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछा कर देवी माँ सरस्वती की एक प्रतिमा अथवा छायाचित्र स्थापित करें।
  5. देवी सरस्वती का ध्यान व आवाहन करें तथा उनको आसन ग्रहण करवाएं।
  6. तदोपरान्त उनको धुप, दीप, सुगन्ध व नैवेद्य आदि अर्पित करें।
  7. उनको बेसन अथवा बूंदी के लड्डू का भोग अर्पित करने।
  8. तत्पश्चात पूर्ण श्रद्धा से श्री नील सरस्वती स्तोत्र का पाठ करें।
  9. पाठ सम्पूर्ण होने पर देवी सरस्वती की आरती करें तथा अपने लिए बुद्धि, विद्या तथा ज्ञान की कामना करें।

नील सरस्वती स्तोत्र के लाभ व महत्व ( Benefits & Significance) :

नील सरस्वती स्तोत्र पीडीएफ – Neel Saraswati Stotram PDF संस्कृत में डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए डाउनलोड बटन पर क्लिक करें तथा निशुल्क इस दिव्य स्तोत्र का लाभ प्राप्त करें।

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