Manusmriti Book Marathi PDF

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Manusmriti Book - Summary

मनस्मृति पुस्तक भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो महाभारत और रामायण से भी प्राचीन है। इस ग्रंथ की गहराई और ज्ञान हमें यह दर्शाता है कि मनु महाराज श्रीकृष्ण और राम से पहले हुए थे। उनकी मनुस्मृति उन्हीं के काल में रचित की गई थी।

मनुस्मृति की विशेषताएँ

धर्मशास्त्रीय ग्रंथकारों के साथ-साथ शंकराचार्य और शबरस्वामी जैसे महान दार्शनिक भी इस ग्रंथ का प्रमाण के रूप में उल्लेख करते हैं। कुछ विद्वान मानते हैं कि यह स्मृति स्वायंभुव मनु द्वारा लिखी गई है, न कि वैवस्वत मनु या प्राचेतस मनु द्वारा। महाभारत ने स्वायंभुव मनु और प्राचेतस मनु में अन्तर बताया है, जिनमें पहले को धर्मशास्त्रकार और दूसरे को अर्थशास्त्रकार कहा गया है।

आगे चलकर इंद्रसावर्णि ने इस ग्रंथ को और भी परिष्कृत किया।

मनुस्मृति – Manusmriti Book

मनुस्मृति में कई ऐसे विचार या वाक्य शामिल हैं जो निरुक्त और महाभारत जैसे प्राचीन ग्रंथों में नहीं मिलते हैं। जब हम इनके अर्थ पर विचार करते हैं, तो कई उत्तर हमारे सामने आते हैं। यह अनुमान लगाया जा सकता है कि मनु के नाम से धर्मशास्त्रीय वाक्य समाज में प्रचलित थे, जिससे प्रेरित होकर मनुसंहिता का निर्माण किया गया। इसके साथ ही भृगु नामक प्राचीन ऋषि का नाम जोड़कर इसे और प्रसिद्धि दी गई।

मनुस्मृति में वेद सम्मत वाणी का विस्तार से उल्लेख किया गया है। अगर कोई वेद को अच्छी तरह से समझता या समझाता है, तो वह है मनुस्मृति। हालांकि, राजा मनु ने इसमें कुछ अपने विचार भी शामिल किए हैं। अब तक 14 मनु हो चुके हैं, और प्रत्येक ने अपनी अलग मनुस्मृति की रचना की है। इसी तरह, विभिन्न ऋषियों की भी अपनी-अपनी स्मृतियां हैं, जिससे कम से कम 20-25 स्मृतियां मौजूद हैं।

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