Kamayani Shankar Prasad (कामायनी जयशंकर प्रसाद) Hindi
जयशंकर प्रसाद (1889-1937) का महाकाव्य कामायनी आधुनिक हिंदी साहित्य की सबसे महत्त्वपूर्ण साहित्यिक कृति मानी जाती है। इसमें मानवीय संवेदनाओं, विचारों और कर्म का आदान-प्रदान दर्शाया गया है। यह महाकाव्य एक वैदिक कथानक पर आधारित है जिसमें मनु (एक मनुष्य) प्रलय के बाद अपने को बिल्कुल भावनाहीन पाता है।
कामायनी’ में आदि पुरुष मनु और श्रद्धा के मिलन से मानवता के विकास की कथा को रूपक के रूप में प्रस्तुत किया गया है। मानवता के नये युग प्रवर्तक की दृष्टि से मनु ऐतिहासिक पुरुष है और यह रूपक बड़ा ही भावमय बन पड़ा है। जयशंकर प्रसाद ने कामायनी में जीवन की दार्शनिक व्याख्या की है। यह इतनी सरस, मधुर और गेय है कि पाठक के मन को नदी की धारा की तरह बहाए लिए चलती है।
Kamayani Shankar Prasad (कामायनी जयशंकर प्रसाद)
कामायनी हिंदी भाषा का एक महाकाव्य है। इसके रचयिता जयशंकर प्रसाद हैं। यह आधुनिक छायावादी युग का सर्वोत्तम और प्रतिनिधि हिंदी महाकाव्य है। ‘प्रसाद’ जी की यह अंतिम काव्य रचना 1936 ई. में प्रकाशित हुई, परंतु इसका प्रणयन प्राय: 7-8 वर्ष पूर्व ही प्रारंभ हो गया था। ‘चिंता’ से प्रारंभ कर ‘आनंद’ तक 15 सर्गों के इस महाकाव्य में मानव मन की विविध अंतर्वृत्तियों का क्रमिक उन्मीलन इस कौशल से किया गया है कि मानव सृष्टि के आदि से अब तक के जीवन के मनोवैज्ञानिक और सांस्कृतिक विकास का इतिहास भी स्पष्ट हो जाता है।
कला की दृष्टि से कामायनी, छायावादी काव्यकला का सर्वोत्तम प्रतीक माना जा सकता है। चित्तवृत्तियों का कथानक के पात्र के रूप में अवतरण इस महाकाव्य की अन्यतम विशेषता है। और इस दृष्टि से लज्जा, सौंदर्य, श्रद्धा और इड़ा का मानव रूप में अवतरण हिंदी साहित्य की अनुपम निधि है। कामायनी प्रत्यभिज्ञा दर्शन पर आधारित है। साथ ही इस पर अरविन्द दर्शन और गांधी दर्शन का भी प्रभाव यत्र तत्र मिल जाता है।
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