Hindi Shabdkosh (हिन्दी शब्दकोश)
हिन्दी भाषा में शब्दकोश देखने के लिए हमें हिन्दी भाषा की वर्णमाला, द्वित्व प्रयोग, संयुक्ताक्षर आदि की जानकारी होनी चाहिए। हिन्दी वर्णमाला क्रम और शब्दकोश में प्रयुक्त वर्णक्रम में अंतर होता है। प्रारंभ स्वर से ही होता है फिर व्यंजनों का प्रयोग होता है। अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अः, ऋ । शब्दकोश एक बडी सूची या ऐसा ग्रन्थ जिसमें शब्दों की वर्तनी, उनकी व्युत्पत्ति, व्याकरणनिर्देश, अर्थ, परिभाषा, प्रयोग और पदार्थ आदि का सन्निवेश हो। शब्दों की संख्या 20,000 से बढ़ कर 1.5 लाख पहुंच चुकी है। ये शब्द उन अनुमानित 6.5 लाख शब्दों की वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली के अतिरिक्त हैं, जिनमें कि विज्ञान और मानविकी की सभी शाखाएं सम्मिलित हैं। और, इन सबको मिला कर हिंदी का व्यापक शब्द-भंडार बनता है।
शब्दकोश एक बड़ी सूची या ऐसा ग्रन्थ जिसमें शब्द की वर्ण, उनकी वुत्पत्ति, व्याकरण भंग, अर्थ, परिभाषा, प्रयोग और पदार्थ आदि का सन्श्लेष हो । शब्दकोश एक भाषीय हो सकते हैं, द्विभाषी हो सकते हैं या बहुभाषिक हो सकते हैं। शब्दकोश एक बडी सूची या ऐसा ग्रंथ जिसमें शब्दों की वर्तनी, उनकी व्युत्पत्ति, व्याकरणनिर्देश, अर्थ, परिभाषा, प्रयोग और पदार्थ आदि का सन्निवेश हो। इसमें वर्णमाला के क्रम के अनुसार शब्द व्यवस्थित रहते हैं। शब्दकोश में इ की मात्रा ई स पहले आती है।
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हिन्दी के राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकृत होने के पश्चात् से साहित्य, कला, विज्ञान एवं तकनीकी विषयों पर पाठ्य-पुस्तकों और संदर्भ-ग्रंथों की रचना तीव्रगति से हो रही है। इस नये वातावरण के अनुकूल हिन्दी में भी सभी सजीव भाषाओं की तरह हजारों नये शब्दों का निर्माण हुआ है और प्रतिदिन नये शब्द प्रकाश में आते जा रहे हैं । इस परिस्थिति में कोई भी कोश यदि उसमें इन नये शब्दों का समावेश यथासमय . नहीं हो जाता तो, अपना उपयोग खो देगा ।
अतः प्रत्येक कोशकार और प्रकाशक को इस दिशा में जागरूक रहना अनिवार्य है जिससे पाठकों को एक से अधिक कोशं की सहायता लेने पर विवश न होना पड़े। यदि ऐसी असुविधा का अंत किया जा सके तो कोई भी कोश अपना मूल्य बनाये रखेगा। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए हम अपने कोश का नया संशोधित एवं संर्वाधित संस्करण पाठकों के सम्मुख उपस्थित करते हुए प्रसन्नता का अनुभव करते हैं।
हमने प्रयास किया है कि भाषा की विभिन्न नयी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सरकार तथा अन्य संस्थाओं एवं विशिष्ट विद्वानों द्वारा जो नये शब्द निर्मित तथा संकलित किये गये हैं, वे प्रायः सभी प्रस्तुत संस्करण में ले लिये जायँ । इसके फलस्वरूप लगभग सवा सौ पृष्ठ ( १५ फर्मे ) पहले की अपेक्षा बढ़ गये हैं। आशा है, प्रस्तुत संस्करण पाठकों की आज की आवश्यकता पूरी कर सकने में समर्थ होगा। दो के राष्ट्रा के में ोहत होमे के पश्चात् रे साहित्य, कला, मिताल एवं तकनीकी विषयों पर पास युवकों और संदर्भनयों की रचना जीचति से हो रही है। इस को कारण के अनुकूल हिन्दी में भी सभी सीप भाषाओं की उरह हनारों गये शब्दों का नियाध हुमा है और प्रतिदिन की शब्द प्रसार में आते जा इस परिस्थिति में कोई भी कोण कदि उसमें इन नये पान्दों का समावेश ययासमय हो हे माया तो, मला पोर पो देगा।
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