Hartalika Teej Vrat Aarti Hindi

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Hartalika Teej Vrat Aarti Hindi

हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है। हरतालिका तीज को सबसे बड़ी तीज माना गया है। इस तीज से पहले हरियाली तीज और कजरी तीज आती है। हरतालिका तीज में भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

रतालिका तीज व्रत कठिन व्रतों में से एक माना गया है। इस दिन सुहागिनें निर्जला व निराहार व्रत रखकर पति की लंबी आयु की कामना करती हैं। इस व्रत को कुंवारी कन्याएं भी रखती हैं। मान्यता है कि भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा से कुंवारी कन्याओं को सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है।

Hartalika Teej Vrat Aarti ( हरतालिका आरती)

जय पार्वती माता जय पार्वती माता
ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल कदा दाता
जय पार्वती माता जय पार्वती माता

अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता
जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता
जय पार्वती माता जय पार्वती माता

सिंह को वाहन साजे कुंडल है साथा
देव वधु जहं गावत नृत्य कर ताथा
जय पार्वती माता जय पार्वती माता

सतयुग शील सुसुन्दर नाम सती कहलाता
हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता
जय पार्वती माता जय पार्वती माता

शुम्भ निशुम्भ विदारे हेमांचल स्याता
सहस भुजा तनु धरिके चक्र लियो हाथा
जय पार्वती माता जय पार्वती माता

सृष्टि रूप तुही जननी शिव संग रंगराता
नंदी भृंगी बीन लाही सारा मदमाता
जय पार्वती माता जय पार्वती माता

देवन अरज करत हम चित को लाता
गावत दे दे ताली मन में रंगराता
जय पार्वती माता जय पार्वती माता

श्री प्रताप आरती मैया की जो कोई गाता
सदा सुखी रहता सुख संपति पाता
जय पार्वती माता मैया जय पार्वती माता

भगवान शिव जी की आरती

|| शिव जी की आरती ||

जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥

जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥

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