Harivansh Puran (हरिवंश पुराण) Hindi

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Harivansh Puran (हरिवंश पुराण) Hindi

हरिवंशपुराण के श्रवण मात्र से ही अपार पुण्य की प्राप्ति हो जाती है। इसलिए श्रावण माह में हरिवंश पुराण का श्रवण या वाचन करना चाहिए। कुंगड़ियों के मंदिर में चल रही हरिवंश पुराण कथा के दूसरे दिन शुक्रवार को कथा वाचक रमेश मिश्र कथा वाचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जहां भागवत कथा मोक्ष को देने वाली है, वहीं हरिवंश पुराण की कथा वंश की वृद्धि करने वाली कथा है। उन्होंने कथा के माध्यम से एक दूसरे की सहायता करने के लिए भी कहा। उन्होंने कहा कि जरूरतमंद की सहायता करने से भगवान खुश होते हैं। इसलिए जरूरतमंद की सहायता करनी चाहिए।

हरिवंश पुराण महाभारत का ही अंश है। ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि से यदि जन्मकुंडली में संतानाभाव सूर्य के द्वारा दृष्ट, आविष्ट या बाधित हो तो निःसंदेह हरिवंश पुराण का नित्य शांत मन से श्रवण करना चाहिए। हरिवंश पुराण के श्रवण करने से जन्मकुंडली में प्राप्त संतानाभाव निःसंदेह समाप्त होता है। श्रोता को जो फल 18 पुराणों के श्रवण से प्राप्त होता है, वह मात्र हरिवंश पुराण के श्रवण से प्राप्त हो जाता है।

Harivansh Puran (हरिवंश पुराण) के कथाओं की सूची

अध्याय विषय
01 आदिसर्ग का पर्व
02 दक्ष के उत्पत्ति का वर्णन
03 मरुत् के उत्पत्ति का वर्णन
04 पृथु का उपाख्यान
05 पृथ्वी दोहन आदि का वर्णन
06 मनु का वर्णन
07 मन्वन्तर का वर्णन
08 मनु मन्वन्तर का वर्णन
09 बारह आदित्यों के जन्म का वर्णन
10 एला के उत्पत्ति का वर्णन
11 धुन्धु के वध का वर्णन
12 गालव की उत्पत्ति का वर्णन
13 त्रिशंकु के चरित्र का वर्णन
14 सगर के उत्पत्ति का वर्णन
15 आदित्यवंश का वर्णन
16 पितृकल्प का वर्णन
17 श्राद्ध के फल का वर्णन
18 पितृकल्प के घटक
19 सोम की उत्पत्ति का वर्णन
20 ऐल की उत्पत्ति का वर्णन
21 अमावसु के वंश का वर्णन
22 आयुवंश का वर्णन
23 कश्यप वंश का वर्णन
24 ययाति चरित्र का वर्णन
25 आयुवंश का वर्णन
26 पुरुवंश का वर्णन
27 यदुवंश वर्णन और कार्तवीर्य अर्जुन की उत्पत्ति का वर्णन
28 वृष्णि वंश का वर्णन
29 कृष्ण जन्म का वर्णन
30 जनमेजय वंश का वर्णन
31 कुक्कुर वंश का वर्णन
32 श्रीकृष्ण को झूठे शाप का वर्णन
33 स्यमन्तक मणि के लिये श्रीकृष्ण द्वारा शतधन्वा का वध
34 वराह के उत्पत्ति का वर्णन
35 योगेश्वर स्वरूप विष्णु के अवतार का वर्णन
36 विष्णु के ईश्वरत्व का वर्णन
37 दैत्य सेना के विस्तार का वर्णन
38 देवसेना के विस्तार का वर्णन
39 देवासुर संग्राम का वर्णन
40 देवताओं द्वारा दैत्यों की विफलता
41 कालनेमि के साथ देवताओं का युद्ध
42 वैशम्पायन से जनमेजय का विष्णु विषयक प्रश्न
43 पृथ्वी के दुख से दुखी ऋषियों का ब्रह्मलोक की यात्रा
44 विष्णु-देवताओं के संवाद का वर्णन
45 विष्णु के प्रति पृथ्वी के वचन
46 देवताओं के अंशावतार का वर्णन
47 नारद के वाक्य का वर्णन
48 ब्रह्मा के वाक्य का वर्णन

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Size: 42.72 | Pages: 647 | Source(s)/Credits: epustakalay.com | Language: Hindi

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Added on 08 Jun, 2023 by Pradeep (13.233.164.178)

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