हनुमान बाहुक (Hanuman Bahuk Path) Hindi PDF

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हनुमान बाहुक (Hanuman Bahuk Path) - Summary

हनुमान बाहुक एक श्रद्धास्पद स्रोत है, जिसे श्री गोस्वामी तुलसीदास द्वारा भगवान श्री हनुमान को समर्पित किया गया है। लोगों के बीच कहलाने वाली कहानियों के अनुसार, एक समय ऐसा आया जब कलियुग के प्रभाव से तुलसीदास जी की भुजा में तीव्र दर्द हुआ। इस पीड़ा से छुटकारा पाने के लिए उन्होंने इस अद्भुत स्रोत की रचना की।

हनुमान बाहुक पाठ – Hanuman Bahuk Path

छप्पय

सिंधु तरन, सिय-सोच हरन, रबि बाल बरन तनु।
भुज बिसाल, मूरति कराल कालहु को काल जनु।
गहन-दहन-निरदहन लंक निःसंक, बंक-भुव।
जातुधान-बलवान मान-मद-दवन पवनसुव।
कह तुलसिदास सेवत सुलभ सेवक हित सन्तत निकट।
गुन गनत, नमत, सुमिरत जपत समन सकल-संकट-विकट॥१॥

झूलना

पञ्चमुख-छःमुख भृगु मुख्य भट असुर सुर, सर्व सरि समर समरत्थ सूरो।
बांकुरो बीर बिरुदैत बिरुदावली, बेद बंदी बदत पैजपूरो।
जासु गुनगाथ रघुनाथ कह जासुबल, बिपुल जल भरित जग जलधि झूरो।
दुवन दल दमन को कौन तुलसीस है, पवन को पूत रजपूत रुरो॥३॥

घनाक्षरी

भानुसों पढ़न हनुमान गए भानुमन, अनुमानि सिसु केलि कियो फेर फारसो।
पाछिले पगनि गम गगन मगन मन, क्रम को न भ्रम कपि बालक बिहार सो।
कौतुक बिलोकि लोकपाल हरिहर विधि, लोचननि चकाचौंधी चित्तनि खबार सो।
बल कैंधो बीर रस धीरज कै, साहस कै, तुलसी सरीर धरे सबनि सार सो॥४॥

महाबल सीम महा भीम महाबान इत,
महाबीर बिदित बरायो रघुबीर को।
कुलिस कठोर तनु जोर परै रोर रन, करुना कलित मन धारमिक धीर को।

दुर्जन को कालसो कराल पाल सज्जन को, सुमिरे हरन हार तुलसी की पीर को।

सीय-सुख-दायक दुलारो रघुनायक को, सेवक सहायक है साहसी समीर को॥१०॥

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हनुमान बाहुक का पाठ केवल एक मंत्र नहीं है; यह हमारे जीवन में शक्ति और साहस लाने का स्रोत है। इसे पढ़ने से भक्तों को मानसिक शांति और कठिनाइयों का सामना करने की बल मिलती है। इसलिए, ज़रूर इसका पाठ करें!

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