Durga Stuti – श्री दुर्गा स्तुति - Summary
दुर्गा स्तुति देवी माँ दुर्गा की महिमा और उनके दिव्य रूपों का वर्णन करने वाला पवित्र स्तोत्र है। यह स्तुति भक्तों को माँ की शक्ति, करुणा और संरक्षण का अनुभव कराती है। माँ दुर्गा को सृष्टि की अधिष्ठात्री, त्रिलोक की रक्षिका और अज्ञान रूपी अंधकार को नष्ट करने वाली देवी माना जाता है। दुर्गा स्तुति का पाठ करने से मनुष्य को आत्मबल, साहस और शांति की प्राप्ति होती है।
हिंदू धर्मग्रंथों में माँ दुर्गा की स्तुति का विशेष महत्व बताया गया है। नवरात्रि जैसे पावन अवसरों पर इसका पाठ भक्तों द्वारा बड़े श्रद्धाभाव से किया जाता है। यह स्तुति न केवल भौतिक सुख-संपत्ति प्रदान करती है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति और मानसिक संतुलन का भी मार्ग प्रशस्त करती है। भक्त जब पूरे मन से दुर्गा स्तुति का जप करते हैं, तो वे माँ की दिव्य कृपा से संकटों से मुक्त होकर सुख और समृद्धि का अनुभव करते हैं।
दुर्गा स्तुति इन हिंदी – Durga Stuti
जय भगवति देवि नमो वरदे जय पापविनाशिनि बहुफलदे।
जय शुम्भनिशुम्भकपालधरे प्रणमामि तु देवि नरार्तिहरे॥1॥
जय चन्द्रदिवाकरनेत्रधरे जय पावकभूषितवक्त्रवरे।
जय भैरवदेहनिलीनपरे जय अन्धकदैत्यविशोषकरे॥2॥
जय महिषविमर्दिनि शूलकरे जय लोकसमस्तकपापहरे।
जय देवि पितामहविष्णुनते जय भास्करशक्रशिरोवनते॥3॥
जय षण्मुखसायुधईशनुते जय सागरगामिनि शम्भुनुते।
जय दु:खदरिद्रविनाशकरे जय पुत्रकलत्रविवृद्धिकरे॥4॥
जय देवि समस्तशरीरधरे जय नाकविदर्शिनि दु:खहरे।
जय व्याधिविनाशिनि मोक्ष करे जय वाञ्छितदायिनि सिद्धिवरे॥5॥
एतद्व्यासकृतं स्तोत्रं य: पठेन्नियत: शुचि:।
गृहे वा शुद्धभावेन प्रीता भगवती सदा॥6॥
श्री दुर्गा स्तुति पाठ विधि
- ब्रह्म मुहूर्त में उठते समय जय जगदम्बे जय जय अम्बे का ग्यारह बार मुँह में जाप करें।
- शौच आदि से निवृत हो कर स्नान करने के बाद लाल रूमाल कन्धे पर रखकर पाठ करें।
- मौली दाई कलाई पर बांधे या बंधवा लें । आसन पर चौकड़ी लगा कर (बैठ कर ) हाथ जोड़ कर बोलें :
- पौना वाली माता जी तुहाडी सदा ही जय। ” भगवती मां के सामने घी की जोत जला कर पाठ प्रारम्भ करें।
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