Dark Horse Book by Nilotpal Mrinal Hindi

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डार्क हॉर्स बुक Hindi

Dark Horse is a book that tells the story of few students who aspire to get through the Civil Services exam which is considered one of the toughest exams in the world considering its selection ratio. हिन्दी कहानी के तौर पर आपको कुछ भी नया नहीं मिलनेवाला। हां, ट्रीटमेंट में फ़र्क़ ज़रूर है। ऊपर बताई गई किताबों की तुलना में डार्क हॉर्स की भाषा और कहानी कहने के ढंग में परिपक्वता है। यदि यह अपने तरह की पहली किताब होती तो ज़रूर बेहतरीन कही जाती।

डार्क हॉर्स (Dark Horse), नीलोत्पल मृणाल (Nilotpal Mrinal) का लिखित उपन्यास है। “डार्क हॉर्स (Dark Horse)” का मतलब रेस में ऐसा घोडा जिस पर किसी ने भी दाँव नही लगाया हो, जिसकी किसी ने जीतने की उम्मीद न की हो और वही घोडा सबको पीछे छोड़ आगे निकल जाए, तो वही है डार्क हॉर्स। इस उपन्यास का मुख्य किरदार संतोष है। जो बिहार के भागलपुर से सिविल सर्विस की तैयारी (I.A.S. बनने के लिए) के लिए दिल्ली आता है। उत्तर प्रदेश, बिहार जैसे हिन्दी राज्यों के छात्र सिविल सर्विस की तैयारी करने के लिए इलाहाबाद का रुख करते हैं, या फिर दिल्ली के मुखर्जी नगर का । जो थोड़े कमजोर घर से होते हैं, वे इलाहाबाद रह कर तैयारी करते हैं, और जो थोड़े साधन-संपन्न होते हैं, वे दिल्ली के मुखर्जी नगर को अपना आशियाना बनाते हैं। कहा जाये तो मुखर्जी नगर में एक इलाहाबाद हमेशा मौजूद रहता है।

Dark Horse Summary in Hindi

इस उपन्यास को पढ़ते समय ऐसा लगता है, हम मुखर्जी नगर की किसी ऐसी जगह बठे है जहाँ से इस उपन्यास के सारे किरदारों को आते-जाते, उठते-बैठते, पढ़ते-लिखते, खाते-पीते देख रहे होते हैं। मुझको सबसे अच्छा लगा कि इस उपन्यास के सारे किरदार जिस जगह से आये है वहा की ही जुबान  बोलते है।  ‘डार्क हॉर्स’ का मुख्य किरदार संतोष  दिल्ली में कदम रखते ही कैसे समझौतावादी हो  जाता हैं  और ‘गुरूत्व’ और ‘चेलत्व’ के भावों में उतरकर फौरन ही सोचने लगता हैं कि अब तो आईएएस की पोस्ट दूर नहीं। मुखर्जी नगर में देखता है कि किसी एक छोटी सी गलती भी इतिहास की बड़ी से बड़ी गलती साबित हो जाती है। यहाँ छात्र केवल सिविल सर्विस  की परीक्षा के लिए ही संघर्ष नहीं करता वल्कि गांव-शहर की संस्कृतियों के लिए, खान-पान और रहन-सहन के लिए, भाषाई सुचिता और भदेसपन के लिए, बौद्धिकता और सहजता के लिए, पिता-पुत्र के बीच का संवाद के लिए , सफलता और असफलता के लिए, क्लास में अपनी पहली प्रेमिका या प्रेमी खोजने के लिए, सिलेबस के बीच कहीं कोई मस्ती का कोना ढूंढने के लिए, मर्यादाएं-परंपराएं बनाए रखने के लिए संघर्ष करता है । यह उपन्यास छात्र जीवन के संघर्ष की गाथा हैं ।

डार्क हॉर्स (Dark Horse) उपन्यास की खास बात यह है कि नीलोत्पल मृणाल (Nilotpal Mrinal) ने अपने किरदारों की बोलने से नहीं रोका हैं, किरदारों ने जब चाहा, जो चाहा बोल दिया, किरदारों ने गाली देनी चाही तो दी। किरदारों के साथ ऐसा इंसाफ कम ही कहानियो मे मिलता हैं । वैसे भी नीलोत्पल खुद भी कहते है कि उन्होंने इस उपन्यास के रूप में कोई साहित्य नहीं रचा है, बल्कि उन्होंने जो देखा है, उसे ही अक्षरों, शब्दों और वाक्यों में पिरोया है।

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