चंद्रशेखर अष्टकम Bhajan Download 2025 - Summary
चंद्रशेखर अष्टकम एक प्रसिद्ध भक्तिमय भजन है जिसमें भगवान शिव की महिमा का वर्णन आठ दिव्य श्लोकों में किया गया है। चंद्रशेखर का मतलब है वह जिन्होंने अपने सिर पर चंद्रमा का मुकुट रखा है, जो शिवजी के आशीर्वाद और दिव्यता का प्रतीक है। यह पवित्र भजन मार्कंडेय मुनि द्वारा रचा गया है और इसके जाप से भक्तों को भगवान शिव की खास कृपा मिलती है। इस मंत्र के नियमित पाठ से भय और अकाल मृत्यु से सुरक्षा मिलती है।
चंद्रशेखर अष्टकम का आध्यात्मिक महत्व
जो व्यक्ति चंद्रशेखर अष्टकम का पाठ करता है, उसे मानसिक शांति और समृद्धि मिलती है। इस स्तोत्र का नियमित जाप भक्ति भावना को और गहरा करता है, जिससे आध्यात्मिक प्रगति संभव होती है। सोमवार के दिन इसके पाठ से चंद्रमा की कमजोरी दूर होती है, जो कुंडली में कमजोर चंद्र के कारण होने वाले कष्टों को कम करता है। साथ ही, सोमवार को रामायण का अयोध्याकाण्ड पढ़ना भी चंद्र की शक्ति बढ़ाने में मदद करता है। ये उपाय 2025 में भी आध्यात्मिक उपचार के रूप में उपयोगी और प्रभावी हैं।
चंद्रशेखर अष्टकम का संक्षिप्त परिचय
चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर पाहिमाम् ।
चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर रक्षमाम् ॥
रत्नसानु शरासनं रजताद्रि शृङ्ग निकेतनं
शिञ्जिनीकृत पन्नगेश्वर मच्युतानल सायकम् ।
क्षिप्रदग्द पुरत्रयं त्रिदशालयै रभिवन्दितं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ 1 ॥
मत्तवारण मुख्यचर्म कृतोत्तरीय मनोहरं
पङ्कजासन पद्मलोचन पूजिताङ्घ्रि सरोरुहम् ।
देव सिन्धु तरङ्ग श्रीकर सिक्त शुभ्र जटाधरं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ 2 ॥
कुण्डलीकृत कुण्डलीश्वर कुण्डलं वृषवाहनं
नारदादि मुनीश्वर स्तुतवैभवं भुवनेश्वरम् ।
अन्धकान्तक माश्रितामर पादपं शमनान्तकं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ 3 ॥
पञ्चपादप पुष्पगन्ध पदाम्बुज द्वयशोभितं
फाललोचन जातपावक दग्ध मन्मध विग्रहम् ।
भस्मदिग्द कलेबरं भवनाशनं भव मव्ययं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ 4 ॥
यक्ष राजसखं भगाक्ष हरं भुजङ्ग विभूषणम्
शैलराज सुता परिष्कृत चारुवाम कलेबरम् ।
क्षेल नीलगलं परश्वध धारिणं मृगधारिणम्
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ 5 ॥
भेषजं भवरोगिणा मखिलापदा मपहारिणं
दक्षयज्ञ विनाशनं त्रिगुणात्मकं त्रिविलोचनम् ।
भुक्ति मुक्ति फलप्रदं सकलाघ सङ्घ निबर्हणं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ 6 ॥
विश्वसृष्टि विधायकं पुनरेवपालन तत्परं
संहरं तमपि प्रपञ्च मशेषलोक निवासिनम् ।
क्रीडयन्त महर्निशं गणनाथ यूथ समन्वितं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ 7 ॥
भक्तवत्सल मर्चितं निधिमक्षयं हरिदम्बरं
सर्वभूत पतिं परात्पर मप्रमेय मनुत्तमम् ।
सोमवारिन भोहुताशन सोम पाद्यखिलाकृतिं
चन्द्रशेखर एव तस्य ददाति मुक्ति मयत्नतः ॥ 8 ॥
आप नीचे दिए गए लिंक से चंद्रशेखर अष्टकम (Chandrasekhara Ashtakam) का संस्कृत PDF डाउनलोड कर सकते हैं। यह PDF आपको भक्ति के इस सुंदर भजन को आसानी से समझने और पढ़ने में मदद करेगा।