आषाढ़ का एक दिन (Ashadh Ka Ek Din) - Summary
आषाढ़ का एक दिन (Ashadh Ka Ek Din)
आषाढ़ का एक दिन आधुनिक हिंदी नाटक का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे श्री हरिवंश राय बच्चन ने लिखा। यह कहानी एक रचनात्मक उत्साही की है और 1958 में प्रकाशित हुई थी।
आषाढ़ का एक दिन, जो 1958 में माने जाने वाले नाटककार मोहन राकेश द्वारा तैयार किया गया, हिंदी नाटक का एक अनोखा उदाहरण है। इसे कभी-कभी हिंदी नाटक के आधुनिक युग का पहला नाटक कहा जाता है। 1958 में इसे वर्ष का सर्वश्रेष्ठ नाटक कहकर संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी नवाजा गया। कई प्रसिद्ध निर्देशकों ने इसे मंच पर प्रस्तुत किया है।
आषाढ़ का एक दिन का नाटक
यह नाटक सिर्फ किसी कहानी पर आधारित नहीं है; बल्कि यह एक पूरे नाटक का रूप है। इसमें समय-समय पर होने वाली घटनाओं का एक सजीव और वर्णित चित्रण किया गया है। यह नाटक मुंशी प्रेमचंद की कहानी “कॉमरेड” से प्रेरित होकर लिखा गया है।
कहानी की खास बातें
‘आषाढ़ का एक दिन’ एक लघुपारंपरिक सेटिंग में स्थापित है, जहां एक युवा कलाकार का अंतिम दिन दिखाया गया है। यह दिन उसके लिए एक गरिमामयी उपलब्धि का दिन था, साथ ही यह उसके प्रेम में डूबने और नाटक की तैयारी में समय बिताने का अवसर भी था। इस नाटक में प्रेम और कला दोनों को एक विशेष स्थान दिया गया है। हरिवंश राय बच्चन की लेखनी में व्यंग्य, सटीकता और एकाग्रता का अनोखा मिश्रण है।
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