Ardhanarishwara Stotram Hindi अर्धनारीनटेश्वर स्तोत्र PDF

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Ardhanarishwara Stotram Hindi अर्धनारीनटेश्वर स्तोत्र - Summary

अर्धनारीश्वर स्तोत्र भगवान शिव और देवी पार्वती के अद्भुत संयुक्त रूप की पूजा करने के लिए एक बहुत पवित्र और महत्वपूर्ण स्तोत्र है। इसे श्रीमद् शंकराचार्य ने लिखा है, जो शिव-शक्ति के अर्धनारीश्वर स्वरूप का सुंदर वर्णन करता है। इस अष्टकश्लोकी स्तोत्र का नियमित पाठ करने वाले भक्त को इच्छित फल और आध्यात्मिक संतोष मिलता है। जो भक्त दिल से इसका जप करते हैं, उन्हें जीवन में सम्मान और लंबी उम्र मिलती है।

अर्धनारीश्वर स्तोत्र का महत्व और आध्यात्मिक असर

यह स्तोत्र भगवान शिव के अर्धनारीश्वर रूप की महिमा को समर्पित है, जिसमें शिव और शिवा का शरीर के आधे-आधे हिस्से में मिलन दिखाया गया है। पुराणों के अनुसार, ब्रह्मा जी की तपस्या के बाद शिव ने अर्धनारीश्वर रूप धारण कर ब्रह्मा की समस्या और सृष्टि के प्रजनन की प्रेरणा दी थी। यह स्तोत्र हमारे जीवन में समानता, आध्यात्मिक शक्ति और सुंदरता महसूस करवाता है।

अर्धनारीश्वर स्तोत्र के श्लोक और उनका अर्थ

चाम्पेयगौरार्धशरीरकायै कर्पूरगौरार्धशरीरकाय ।
धम्मिल्लकायै च जटाधराय नम: शिवायै च नम: शिवाय ॥ १ ॥

अर्थ: इस श्लोक में भगवान शिव और देवी पार्वती के अर्धनारीश्वर रूप का वर्णन है, जिसमें आधे शरीर में चम्पापुष्पों जैसे गोरी पार्वती हैं और आधे भाग में कर्पूर जैसे गोरे भगवान शिव सुशोभित हैं। उनके जटाधर और केशपाश दोनों बहुत सुंदर हैं।

कस्तूरिकाकुंकुमचर्चितायै चितारजः पुंजविचर्चिताय ।
कृतस्मरायै विकृतस्मराय नम: शिवायै च नम: शिवाय ॥ २ ॥

अर्थ: पार्वतीजी के शरीर पर कस्तूरी और कुंकुम का लेप है, जबकि भगवान शिव के शरीर पर चिता की भस्म लगी है। यह रूप कामदेव को जलाने और नष्ट करने वाले की पहचान करता है।

चलत्क्वणत्कंकणनूपुरायै पादाब्जराजत्फणीनूपुराय ।
हेमांगदायै भुजगांगदाय नम: शिवायै च नम: शिवाय ॥ ३ ॥

अर्थ: पार्वतीजी के हाथों में कंकण हैं और पैरों में नूपुरों की आवाज़ है। भगवान शिव के हाथों और पैरों में सर्प सुशोभित हैं, जो उनके अद्वितीय स्वरूप को दिखाते हैं।

विशालनीलोत्पललोचनायै विकासिपंकेरुहलोचनाय ।
समेक्षणायै विषमेक्षणाय नम: शिवायै च नम: शिवाय ॥ ४ ॥

अर्थ: पार्वतीजी की आंखें नीलकमल जैसे सुंदर हैं और भगवान शिव के तीन नेत्र हैं, जो उनके पूरे ज्ञान और शक्ति का निशान हैं।

मन्दारमालाकलितालकायै कपालमालांकितकन्धराय ।
दिव्याम्बरायै च दिगम्बराय नम: शिवायै च नम: शिवाय ॥ ५ ॥

अर्थ: पार्वतीजी के बालों में मन्दार के फूलों की माला है और भगवान शिव के गले में मुण्डों की माला है। पार्वतीजी के वस्त्र दिव्य हैं और शिव दिगंबर रूप में हैं।

अम्भोधरश्यामलकुन्तलायै तडित्प्रभाताम्रजटाधराय ।
निरीश्वरायै निखिलेश्वराय नम: शिवायै च नम: शिवाय ॥ ६ ॥

अर्थ: पार्वतीजी के बाल जल से भरे काले बादल जैसे हैं और भगवान शिव की जटा बिजली की चमक लिए हुए हैं। दोनों ही पूरे संसार के स्वामी हैं।

प्रपंचसृष्ट्युन्मुखलास्यकायै समस्तसंहारकताण्डवाय ।
जगज्जनन्यैजगदेकपित्रे नम: शिवायै च नम: शिवाय ॥ ७ ॥

अर्थ: पार्वतीजी सृष्टि के लिए लास्य नृत्य करती हैं और शिव उनके ताण्डव नृत्य से सृष्टि का विनाश करते हैं। वे जगत की माता और पिता के रूप में पूजनीय हैं।

प्रदीप्तरत्नोज्ज्वलकुण्डलायै स्फुरन्महापन्नगभूषणाय ।
शिवान्वितायै च शिवान्विताय नम: शिवायै च नम: शिवाय ॥ ८ ॥

अर्थ: पार्वतीजी के कानों में चमकीले रत्नों के कुंडल हैं और भगवान शिव के पास महान नागों के आभूषण हैं। दोनों शाश्वत शक्ति के निशान हैं।

एतत् पठेदष्टकमिष्टदं यो भक्त्या स मान्यो भुवि दीर्घजीवी ।
प्राप्नोति सौभाग्यमनन्तकालं भूयात् सदा तस्य समस्तसिद्धि: ॥ ९ ॥

अर्थ: आठ श्लोकों वाला यह स्तोत्र जो भक्तिपूर्वक पढ़ता है, वह सम्मानित, लंबी उम्र वाला और सभी सिद्धियों से सम्मानित होता है।

॥ इति आदिशंकराचार्य द्वारा लिखा गया शिव अर्धनारीश्वर पूरा स्तोत्र ॥

अगर आप इस दिव्य Ardhanarishwara Stotram को अपनी आध्यात्मिक साधना में शामिल करना चाहते हैं, तो आप इसे PDF के रूप में डाउनलोड कर सकते हैं। नीचे लिंक दिया है जिससे आप इसे कहीं भी और कभी भी पढ़ सकते हैं, जिससे आपके दिल में भगवान शिव और देवी पार्वती की कृपा हमेशा बनी रहे।

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