अमृतवाणी (Amritvani) Hindi PDF

अमृतवाणी (Amritvani) in Hindi PDF download free from the direct link below.

अमृतवाणी (Amritvani) - Summary

अमृतवाणी एक विशेष संकलन है जो उन वचन-शब्दों से बना है, जो हमें अमरत्व की भावना देते हैं। यह अमृतवाणी उन बोलों की एक अद्भुत धारा है, जिससे जीवन में अमरत्व की प्राप्ति होती है। दिव्य मूर्ति स्वामी जी का जन्म चैत्र पूर्णिमा, 7 अप्रैल सन् 1868 (विक्रमी संवत 1625) को एक ब्राह्मण परिवार में ‘जग्गू का मोरा’ नामक गांव (पश्चिमी पंजाब, अब पाकिस्तान) में हुआ। बाल्यावस्था में माता-पिता का देहांत हो जाने के कारण उनका पालन-पोषण लगभग 6 वर्ष तक नानी द्वारा ‘अंकरा’ नामक गांव (जम्मू कश्मीर राज्य) में किया गया। जब वे दस वर्ष के हुए, तब नानी का भी निधन हो गया।

स्वामी जी का जीवन और योगदान

जैन साधुओं के उपदेशों से प्रेरित होकर, 17 वर्ष की आयु में उन्होंने घर त्यागा और उनके साथ रहने लगे। 19 वर्ष की आयु में वे जैन मुनि बन गए। इसी दौरान उन्होंने संस्कृत का अध्ययन किया और जैन ग्रंथों को पढ़ा। ‘आध्यात्मिक चिकित्सा’ नामक लघु ग्रंथ पढ़ने के बाद स्वामी जी का विश्वास परमेश्वर की सर्वज्ञता, सर्वत्र विद्यमानता और सर्वशक्तिमत्ता के प्रति बढ़ा। इसके साथ ही, उनके सच्चिदानन्द स्वरूप के प्रति श्रद्धा भी सुदृढ़ हो गई।

अमृतवाणी की विशेषताएँ

अमृतवाणी हमें सिखाती है कि राम नाम का स्मरण कैसे हमें सुख और शांति प्रदान करता है। इसे न केवल जपना ही है, बल्कि इसके अर्थ का भी ध्यान रखना चाहिए। हर सुबह हम इसे अपने दिल से गा सकते हैं। यहाँ कुछ पंक्तियाँ हैं जो हमें राम नाम के महत्व को बताते हैं:

रामामृत पद पावन वाणी, राम-नाम धुन सुधा सामानी
पावन-पाथ राम-गन-ग्राम, राम-राम जप राम ही राम

जो लोग इस अमृतवाणी का पाठ करते हैं, वे निश्चित रूप से जीवन में कठिनाइयों से बाहर निकलते हैं। यदि हम इसके सार को समझें और इसका अनुसरण करें, तो हमें वास्तविक सुख और शांति मिलेगी।

अमृतवाणी का PDF डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें। इसे पढ़ें और इसे अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाएं।

आप नीचे दिए गए लिंक का उपयोग करके (अमृतवाणी) Amritvani PDF में डाउनलोड कर सकते हैं।

अमृतवाणी (Amritvani) Hindi PDF Download