Brahmacharya Kab Kyon Aur Kaise Book - Summary
“ब्रह्मचर्य : कब, क्यों और कैसे?” – “ब्रह्मचर्य” भारतीय सनातन संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का अमूल्य रत्न है। ‘ब्रह्मचर्य’ का शाब्दिक अर्थ है ‘ब्रह्म में विचरण करना अर्थात् परमेश्वर का चिंतन करना और अपनी जीवन-ऊर्जा, वीर्य-शक्ति का संरक्षण करना’। आज के भौतिकवादी युग में स्वाभाविक ही प्रश्न उठता है कि ब्रह्मचर्य का पालन क्यों आवश्यक है? इसका उत्तर स्पष्ट है ब्रह्मचर्य एक दिव्य महाव्रत है, जिसकी साधना से साधारण मनुष्य भी महापुरुष बन सकता है। इस व्रत का पालन करने से आत्मा की आंतरिक शक्तियाँ जागृत होती हैं, जिससे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र बौद्धिक, मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक में असीम शक्ति, अद्भुत संतुलन, पवित्रता व दिव्यता का प्रसार होता है। यह पुस्तक केवल सैद्धांतिक उपदेशों का संग्रहमात्र नहीं है बल्कि यह तो एक व्यावहारिक मार्गदर्शिका है, जो इस जटिल पथ पर चलने वाले साधकों, विशेषकर हस्तमैथुन, स्वप्नदोष जैसी समस्याओं से जूझ रहे युवाओं के लिए एक प्रकाश-स्तंभ का कार्य करती है।
इसमें केवल समस्याएँ ही नहीं गिनाई गई हैं, अपितु उनका सरल, वैज्ञानिक और व्यावहारिक समाधान भी प्रस्तुत किया गया है। पूज्य महाराजश्री के अनुभव-सिंचित उपदेशों और अमूल्य जीवन-सूत्रों से सुसज्जित यह ग्रन्थरत्न पाठकों को आत्मनियंत्रण, नियमित साधना और अन्तःशक्ति का वास्तविक महत्त्व समझाता है। निःसंदेह, यह पुस्तक आपके जीवन में एक नयी दिशा, अदम्य दृढ़ता और आंतरिक प्रकाश का संचार करने में पूर्णतः सक्षम है।