मनुस्मृति सटीक विचार - Summary
मनुस्मृति सटीक विचार न केवल एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, बल्कि यह हिंदू धर्म के मूल सिद्धांतों का सार भी प्रस्तुत करता है। मनुस्मृति में 12 अध्याय और 2684 श्लोक हैं, जो हमें जीवन की सही राह पर चलना सिखाते हैं। यह प्राचीन भारतीय संविधान कहा जाता था और इसके कुछ अध्यायों को लेकर विवाद होते रहते हैं। मनुस्मृति का आचार और व्यवहार यदि हम अपने जीवन में अपनाएं, तो हमें कई समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है।
मनुस्मृति सटीक विचार (Manusmruti Satik)
जन्मना जायते शूद्र: कर्मणा द्विज उच्यते।
अर्थ – जो जन्म से शूद्र होते हैं, कर्म के आधार पर द्विज कहलाते हैं।
धृति क्षमा दमोस्तेयं, शौचं इन्द्रियनिग्रहः।
धीर्विद्या सत्यं अक्रोधो, दशकं धर्मलक्षणम् ॥
अर्थ – धर्म के दस लक्षण हैं – धैर्य, क्षमा, संयम, चोरी न करना, स्वच्छता, इन्द्रियों को वश में रखना, बुद्धि, विद्या, सत्य और क्रोध न करना (अक्रोध)।
नास्य छिद्रं परो विद्याच्छिद्रं विद्यात्परस्य तु।
गूहेत्कूर्म इवांगानि रक्षेद्विवरमात्मन: ॥
वकवच्चिन्तयेदर्थान् सिंहवच्च पराक्रमेत्।
वृकवच्चावलुम्पेत शशवच्च विनिष्पतेत् ॥
अर्थ – कोई शत्रु अपने छिद्र (निर्बलता) को न जान सके और स्वयं शत्रु के छिद्रों को जानता रहे, जैसे कछुआ अपने अंगों को गुप्त रखता है, वैसे ही शत्रु के प्रवेश करने के छिद्र को गुप्त रखें। जैसे बगुला ध्यान लगाकर मछली पकड़ने के लिए ताकता है, वैसे ही अर्थसंग्रह का विचार करना चाहिए और शस्त्र एवं बल की वृद्धि करके शत्रु को जीतने के लिए सिंह की तरह पराक्रम करना चाहिए। चीते की तरह छिपकर शत्रुओं को पकड़े और जब बलवान शत्रु पास आएं, तो खरगोश की तरह दूर भाग जाएं और बाद में उन्हें छल से पकड़े।
नोच्छिष्ठं कस्यचिद्दद्यान्नाद्याचैव तथान्तरा।
न चैवात्यशनं कुर्यान्न चोच्छिष्ट: क्वचिद् व्रजेत् ॥
अर्थ – न किसी को अपना जूठा पदार्थ दें और न किसी के भोजन के बीच खुद खाएं, न अत्यधिक भोजन करें और न ही भोजन के बाद हाथ-मुंह धोये बिना कहीं इधर-उधर जाएं।
तैलक्षौमे चिताधूमे मिथुने क्षौरकर्मणि।
तावद्भवति चांडालः यावद् स्नानं न समाचरेत् ॥
अर्थ – तेल-मालिश, चिता के धुएं में रहने, मिथुन संबंधी कर्म और बाल कटवाने के बाद व्यक्ति तब तक चांडाल (अपवित्र) रहता है जब तक स्नान नहीं कर लेता।
अनुमंता विशसिता निहन्ता क्रयविक्रयी।
संस्कर्त्ता चोपहर्त्ता च खादकश्चेति घातका: ॥
अर्थ – अनुमति देने, मांस के काटने, पशु आदि के मारने, उन्हें मारने के लिए लेने और बेचने, मांस पकाने, परोसने और खाने वाले – ये सब प्रकार के लोग घातक और हिंसक हैं।
मनुस्मृति की संरचना एवं विषयवस्तु
मनुस्मृति भारतीय आचार-संहिता का विश्वकोश है, इसमें बारह अध्याय और दो हजार पांच सौ श्लोक हैं, जिनमें सृष्टि की उत्पत्ति, संस्कार, नित्य और नैमित्तिक कर्म, आश्रमधर्म, वर्णधर्म, राजधर्म व प्रायश्चित्त आदि विषयों का उल्लेख है।
- जगत् की उत्पत्ति
- संस्कारविधि, व्रतचर्या, उपचार
- स्नान, दाराघिगमन, विवाहलक्षण, महायज्ञ, श्राद्धकल्प
- वृत्तिलक्षण, स्नातक व्रत
- भक्ष्याभक्ष्य, शौच, अशुद्धि, स्त्रीधर्म
- गृहस्थाश्रम, वानप्रस्थ, मोक्ष, संन्यास
- राजधर्म
- कार्यविनिर्णय, साक्षिप्रश्नविधान
- स्त्रीपुंसधर्म, विभाग धर्म, धूत, कंटकशोधन, वैश्यशूद्रोपचार
- संकीर्णजाति, आपद्धर्म
- प्रायश्चित्त
- संसारगति, कर्म, कर्मगुणदोष, देशजाति, कुलधर्म, निश्रेयस।
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