संत रविदास जी का इतिहास Hindi PDF

संत रविदास जी का इतिहास in Hindi PDF download free from the direct link below.

संत रविदास जी का इतिहास - Summary

गुरु रविदास जी का इतिहास, भारतीय समाज में जात-पात के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। संत रविदास या रैदास मध्यकाल के एक महान भारतीय संत हैं, जिन्हें सतगुरु या जगतगुरु की उपाधि दी जाती है। इन्होंने रैदासिया या रविदासिया पंथ की स्थापना की, और इनके द्वारा रचित कुछ भजन सिखों के पवित्र ग्रंथ गुरुग्रंथ साहिब में भी शामिल हैं।

रविंदास जी बचपन से ही बहुत भक्ति भाव रखने वाले और साहसी थे। वे उच्च जाति के लोगों की हीन भावना का सामना करते थे, जो हमेशा उन्हें उनके निम्न जाति का होने का अहसास कराते थे। रविदास जी ने समाज में बदलाव लाने के लिए अपने लेखन का प्रयोग किया। उन्होंने लोगों को सिखाया कि इंसान को बिना किसी भेदभाव से एक-दूसरे से प्रेम करना चाहिए।

संत रविदास जी का इतिहास

  1. गुरु रविदास (रैदास) का जन्म काशी में माघ पूर्णिमा के दिन रविवार को संवत 1398 में हुआ था। उनके एक प्रसिद्ध दोहे के अनुसार, चौदह सौ तैंतीस की माघ सुदी पन्द्रास, दुखियों के कल्याण हित प्रगटे श्री रविदास। उनके पिता का नाम संतोख दास और माता का नाम कलसां देवी था।
  2. रविंदास जी की पत्नी का नाम लोना देवी बताया जाता है।
  3. संत रविदास जी ने स्वामी रामानंद जी को कबीर साहेब जी के कहने पर अपना गुरु बनाया, जबकि उनके वास्तविक आध्यात्मिक गुरु कबीर साहेब जी ही थे।
  4. प्रारंभ से ही रविंदास जी परोपकारी और दयालु थे; दूसरों की सहायता करना उनके स्वभाव का हिस्सा बन गया था। साधु-संतों की सेवा में उन्हें विशेष आनंद मिलता था।
  5. रविंदास जी की दयालुता के कारण उनके माता-पिता उनसे अप्रसन्न रहते थे। कुछ समय बाद, उन्होंने रविंदास और उनकी पत्नी को अपने घर से निकाल दिया। वे पड़ोस में एक अलग जगह पर अपने व्यवसाय में व्यस्त रहते थे, और शेष समय भक्ति में बिताते थे।
  6. नौ वर्ष की छोटी उम्र में ही परमात्मा की भक्ति का इतना गहरा रंग चढ़ गया कि उनके माता-पिता चिंतित हो उठे। उन्होंने उनका मन संसार की ओर आकर्षित करने के लिए उनकी शादी कर दी, लेकिन फिर भी रविंदास जी अपने मार्ग से विचलित नहीं हुए।

संत रविदास जी का इतिहास पीडीऍफ़

  • उनका जन्म उस समय हुआ जब भारत में मुगलों का शासन था, और चारों ओर गरीबी, भ्रष्टाचार और अशिक्षा का दौर था। युग प्रवर्तक स्वामी रामानंद काशी में पंच गंगाघाट पर रहते थे और सभी को अपने शिष्य बनाते थे। रविदास ने उन्हें अपना गुरु बनाया और स्वामी रामानंद ने उन्हें राम भजन का मंत्र दिया।
  • कहा जाता है कि भक्त रविदास का उद्धार करने के लिए भगवान स्वयं साधु का रूप धारण कर उनकी झोपड़ी में गए, लेकिन उन्होंने दिए गए पारस पत्थर को स्वीकार नहीं किया।
  • एक बार एक पर्व के अवसर पर पड़ोस के लोग गंगा-स्नान के लिए जा रहे थे। संत रविदास जी ने कहा कि वे अवश्य चलेंगे, लेकिन एक व्यक्ति को जूते बनाकर देने का वचन दिया है। यदि वे उसे आज नहीं दे पाए, तो वचन भंग होगा।
  • संत रविदास जी ने समझाया कि गंगा स्नान के लिए जाने पर मन व्यस्त रहेगा, इसलिए पुण्य कैसे प्राप्त होगा? मन जिसे काम करने के लिए तैयार है, उसी काम को करना अच्छा है। यदि मन सही है, तो कठौते के जल में गंगा स्नान का पुण्य भी प्राप्त किया जा सकता है। इसीलिए कहा गया, मन चंगा तो कठौती में गंगा।
  • संत रविदास जी की महानता और भक्ति की शक्ति के प्रमाण उनके जीवन की घटनाओं में मिलते हैं। उस समय का सबसे शक्तिशाली राजा, मुग़ल साम्राज्य का बाबर भी प्रवास में संत रविदास जी के प्रति नतमस्तक था। जब बाबर ने संत रविदास जी से भेंट की, तो संत रविदास जी ने उसकी सोच में बदलाव लाया।
  • उस समय मुस्लिम शासक हिंदुओं को मुस्लिम बनाने के प्रयास कर रहे थे। संत रविदास की प्रसिद्धि बढ़ती गई और उनके लाखों भक्त थे, जिनमें विभिन्न जातियों के लोग शामिल थे।
  • ये देखकर, उस समय का प्रसिद्ध मुस्लिम ‘सदना पीर’ संत रैदास को मुसलमान बनाने आया था। वह सोचता था कि संत रविदास को मुसलमान बना देने से उनके लाखों भक्त भी मुसलमान हो जाएंगे, लेकिन संत रविदास की श्रद्धा और निष्ठा हिंदू धर्म के प्रति अटूट रही।

आप नीचे दिए गए लिंक का उपयोग करके संत रविदास जी का इतिहास पीडीऍफ़ में डाउनलोड कर सकते हैं।

RELATED PDF FILES

संत रविदास जी का इतिहास Hindi PDF Download