नवरात्री देवीची आरती – Navratri Aarti Marathi - Summary
नवरात्री देवीची आरती – Navratri Aarti Marathi
नवरात्री भारत में सनातनी हिंदुओं के सबसे हर्षित और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इस समय भक्त बड़ी संख्या में उपवास रखते हैं और देवी की आराधना करते हैं। नवरात्रि के दौरान की जाने वाली पूजा में देवी की आरती विशेष महत्व रखती है। इसलिए यहां हम नवरात्रि देवीची आरती साझा कर रहे हैं, जिसे दुर्ग दुर्गात भारी आरती पीडीएफ के नाम से भी जाना जाता है। इस आरती के पाठ से भक्तों को बहुत लाभ मिलता है। पीडीएफ फॉर्मेट में इसे आसानी से डाउनलोड किया जा सकता है।
Navratri Aarti Marathi – नवरात्री देवीची आरती
उदो बोला उदो अंबा बाई माउलीचा हो
उदोकार गर्जती काय महिमा वर्णू तिचा हो || धृ ||
अश्विन शुद्धपक्षी अंबा बैसली सिंहासनी हो
प्रतिपदेपासून घटस्थापना ती करुनी हो
मूलमंत्र – जप करुनी भोवत रक्षक ठेवुनी हो
ब्रह्म विष्णू रुद्र आईचे पूजन करिती हो || १ ||
द्वितीयेचे दिवशी मिळती चौषष्ठ योगिनी हो
सकळामध्ये श्रेष्ठ परशुरामाची जननी हो
कस्तुरी मळवट भांगी शेंदूर भरुनी हो
उदो:कार गर्जती सकळ चामुंडा मिळूनी हो || २ ||
तृतीयेचे दिवशी अंबे शृंगार मांडीला हो
मळवट पातळ चोळी कंठी हार मुक्ताफळा हो
कणकेचे पदके कासे पितांबर पिवळा हो
अष्टभुजा मिरविसी अंबे सुंदर दिसे लीला हो || ३ ||
चतुर्थीचे दिवशी विश्व व्यापक जननी हो
उपासका पाहसी माते प्रसन्न अंत:करणी हो
पूर्णकृपे जगन्माते पाहसी मनमोहनी हो
भक्तांच्या माउली सूर ते येती लोटांगणी हो || ४ ||
पंचमीचे दिवशी व्रत ते उपांग ललिता हो
अर्ध पाद्य पूजेने तुजला भवानी स्तवती हो
रात्रीचे समयी करती जागरण हरीकथा हो
आनंदे प्रेम ते आले सद् भावे ते ऋता हो || ५ ||
षष्ठीचे दिवशी भक्ता आनंद वर्तला हो
घेउनि दिवट्या हती हर्षे गोंधळ घातला हो
कवडी एक अर्पिता देशी हार मुक्ताफळा हो
जोगवा मागता प्रसन्न झाली भक्त कुळा हो || ६ ||
सप्तमीचे दिवशी सप्तशृंग गडावरी हो
तेथे तु नांदशी भोवती पुष्पे नानापरी हो
जाईजुई शेवंती पूजा रेखियली बरवी हो
भक्त संकटी पडता झेलुन घेशी वरचेवरी हो || ७ ||
अष्टमीचे दिवशी अंबा अष्टभुजा नरायणी हो
सह्याद्री पर्वती पाहिली उभी जगद्जननी हो
मन माझे मोहिले शरण आलो तुज लागुनी हो
स्तनपान देउनि सुखी केले अंत:करणी हो || ८ ||
नवमीचे दिवशी नव दिवसांचे पारणे हो
सप्तशती जप होम हवने सद्भक्ती करुनी हो
षडरस अन्ने नेवैद्याशी अर्पियली भोजनी हो
आचार्य ब्राह्मणा तृप्तता केले कृपे करुनी हो || ९ ||
दशमीचे दिवशी अंबा निघे सिमोल्लंघनी हो
सिंहारूढ करि सबल शश्त्रे ती घेउनी हो
शुंभनीशुंभादीक राक्षसा किती मारसी राणी हो
विप्रा रामदासा आश्रय दिधला तो चरणी हो || १० ||
आप नीचे दिए गए लिंक का उपयोग करके नवरात्री देवीची आरती | Navratri Aarti Marathi PDF में डाउनलोड कर सकते हैं।