Muhammad Book by Wasim Rizvi - Summary
मोहम्मद बुक बाय वसीम रिज़वी एक ऐसी पुस्तक है जो अपने विवादित विषय के कारण दुनिया भर में चर्चा का विषय बनी हुई है। यह किताब 2020-21 में शिया वक्फ बोर्ड, उत्तर प्रदेश के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिज़वी द्वारा लिखी गई थी। इस पुस्तक पर बैन लगाने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, लेकिन कोर्ट ने इसे बैन करने से मना कर दिया। इसके बाद, वसीम रिज़वी हिंदू धर्म को अपनाकर जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी के नाम से जाने जाने लगे।
मोहम्मद बुक की विशेषताएँ
इस “मोहम्मद” नामक पुस्तक में, लेखक ने मोहम्मद के मनोवैज्ञानिक पहलुओं को उद्घाटित करने की कोशिश की है। इतिहासकारों के अनुसार, मोहम्मद एक सुनसान गुफा में घंटों बिताते थे और अपनी पत्नी खदीजा, जो अरब की एक अमीर महिला थीं, को बताते थे कि वह अल्लाह के पैगंबर बन गए हैं। समय के साथ, मोहम्मद के विचार और व्यवहार में बदलाव आया। जिन लोगों ने उन्हें अल्लाह का रसूल माना, उन्होंने उनके साथ सफर किया। लेकिन, जो लोग इस पर भरोसा नहीं करते थे, उनके साथ क्रूरता दिखाई गई।
Muhammad Book by Wasim Rizvi in Hindi
इस्लाम के नाम पर काफी रक्तपात हुआ है। कुछ इतिहासकारों का कहना है कि पिछले 800 सालों में भारत में इस्लामिक कट्टरवाद के चलते 8 करोड़ से ज्यादा हिंदुओं को मार डाल गया। फ्रांस, मिस्र और अन्य देशों में भी, जहां मुस्लिम आक्रमण हुआ, लाखों लोगों की हत्याएं हुई और अनेक महिलाओं का शोषण हुआ। यह अत्याचार केवल उन समयों में नहीं रुके, बल्कि ये सदियों तक चले और आज भी जारी हैं।
सातवीं शताब्दी में मुहम्मद की आलोचना शुरू हुई जब उसने एकेश्वरवाद का प्रचार करना शुरू किया। उस समय की यहूदी जन-जातियों ने कहा कि मुहम्मद ने बाइबिल के किस्सों को अपने तरीके से बताया और बिना किसी चमत्कार के खुद को अंतिम पैगंबर घोषित कर दिया। हिब्रू बाइबिल में ईश्वर द्वारा चुने गए सच्चे पैगंबर और झूठे दावेदार के बीच मुहम्मद सही नहीं उतरते। इससे यहूदियों ने उसे ‘हा-मेशुगा’ यानी ‘पागल’ कहना शुरू कर दिया।
मध्यकाल में पश्चिमी और बीजान्टिन ईसाई विचारक मुहम्मद को गलत, दुराचारी और झूठे पैगंबर मानते थे। ईसाई दुनिया में, उन्हें एक विधर्मी समझा जाता था और थॉमस एक्विनास जैसे कुछ विचारकों ने आलोचना की कि उन्होंने अपने अनुयायियों से जन्नत में यौन-आनंद का वादा किया।
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