गणेश सूक्त – Ganesha Suktam - Summary
गणेश सूक्त PDF को ऋग्वेदीय गणपति सूक्त के नाम से भी जाना जाता है। श्री गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए श्री गणेश सूक्त पाठ प्रतिदिन अवश्य करना चाहिए। गणेश सूक्त एक अद्भुत रचना है जो श्री गणपति भगवान् को समर्पित है। गणेश सूक्त के पाठ से न केवल आपकी श्रद्धा और भक्ति बढ़ेगी, बल्कि इससे आपको जीवन में सुख और समृद्धि भी प्राप्त होगी।
Importance of Ganesha Suktam
भगवान गणेश विघ्नहर्ता हैं, विद्यादाता हैं, धन-संपत्ति देने वाले हैं। इस तरह गौरीपुत्र गणपति जीवन की हर परेशानी को दूर करने वाले हैं। उनकी उपासना करने से आपके सभी संकट मिट जाएंगे। इसलिए, गणेश सूक्त का पाठ नियमित रूप से करना बहुत फायदेमंद है।
Ganesha Suktam Lyrics in Sanskrit
आ तू न इन्द्र क्षुमन्तं चित्रं ग्राभं सं गृभाय ।
महाहस्ती दक्षिणेन ॥ ८.०८१.०१
विद्मा हि त्वा तुविकृर्मि तुविदेष्णं तुवीमघम् ।
तुविमात्रमवोभिः ॥ ८.०८१.०२
नहि त्वा शूर देवा न मर्तासो दित्सन्तम् ।
भीमं न गां वारयन्ते ॥ ८.०८१.०३
एतो विन्द्रं स्तवामेशानं वस्वः स्वराजम् ।
न राधसा मर्धिषन्नः ॥ ८.०८१.०४
प्रस्तोषदुप गासिषच्छ्रवत्साम गीयमानम् ।
अभि राधसा जुगुरत् ॥ ८.०८१.०५
आ नो भर दक्षिणेनाभि सव्येन प्र मृश ।
इन्द्र मा नो वसोर्निर्भाक् ॥ ८.०८१.०६
उप क्रमस्वा भर धृषता धृष्णो जनानाम् ।
अदाशुष्टरस्य वेदः ॥ ८.०८१.०७
इन्द्र य उ नु ते अस्ति वाजो विप्रेभिः सनित्वः ।
अस्माभिः सुतं सनुहि ॥ ८.०८१.०८
सद्योजुवस्ते वाजा अस्मभ्यं विश्वश्चन्द्राः ।
वशेश्च मक्षू जरन्ते ॥ ८.०८१.०९
गणानां त्वा गणपतिं हवामहे कविं कवीनामुपमश्रवस्तमम् ।
ज्येष्ठराजं ब्रह्मणां ब्रह्मणस्पत आ नः शृण्वन्नूतिभिः सीद सादनम् ॥ २.०२३.०१
निषुसीद गणपते गणेषु त्वामाहुर्विप्रतमं कवीनाम् ।
न ऋते त्वत्क्रियते किं चनारे महाम: मघवञ्चित्रमर्च ॥ १०.११२.०९
अभिख्या नौ मघवन्नाधमानान्सखे बोधि वसुपते सखीनाम् ।
रणं कृधि रणकृत्सत्यशुष्माभक्ते चिदा भजा गये अ॒स्मान् ॥ १०.११२.१०
॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
गणेश सूक्त – Ganesha Suktam
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