मानक लिपि (Manak Lipi) - Summary
केंद्रीय हिंदी निदेशालय द्वारा देवनागरी लिपि तथा हिंदी वर्तनी के मानकीकरण का कार्य देश के प्रतिष्ठित विद्वानों और भाषाविदों, हिंदी सेवी संस्थाओं, राज्य सरकारों एवं विभिन्न मंत्रालयों के उच्च अधिकारियों से विचार-विमर्श करके प्रारंभ किया गया तथा इसके अंतर्गत प्रथमत: 1967 में “हिंदी वर्तनी का मानकीकरण” नाम से लघु पुस्तिका प्रकाशित की गई थी।
इस पुस्तिका की लगातार बढ़ती हुई माँग को देखते हुए वर्ष 1989 में इसका पुनर्मुद्रण कराया गया तथा विभिन्न हिंदी सेवी संस्थाओं, कार्यालयों, शिक्षण संस्थानों में इसका नि:शुल्क वितरण कराया गया ताकि अधिक-से-अधिक संस्थाओं में हिंदी के मानक रूप का प्रयोग बढ़े।
राजभाषा हिंदी के संदर्भ में सभी मंत्रालयों, राज्यों, सरकारों, शैक्षिक संस्थाओं एन.सी.ई.आर.टी, समाचार पत्रों, पत्रिकाओं आदि ने भाषा में एकरूपता लाने के लिए इस मानकीकरण को आधिकारिक रूप से अपनाया। वर्ष 1967 के मानकीकरण का मुख्य आधार प्रयोक्ता और टंकण यंत्र रहा था।
मानक लिपि – Manak Lipi
संविधान की आठवीं अनुसूची में स्वीकृत भारतीय भाषाओं को देवनागरी लिपि में भी लिखा जा सके इसके लिए विकसित परिवर्धित देवनागरी वर्णमाला में पहले कुछ ही भाषाओं के लिए विशेषक चिह्न बनाए गए थे। अद्यतन स्थिति के अनुसार भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भाषाएँ शामिल हैं।
क्रम संख्या | भाषा | लिपि |
---|---|---|
1 | हिंदी | देवनागरी |
2 | संस्कृत | देवनागरी |
3 | कोंकणी | देवनागरी |
4 | डोगरी | देवनागरी |
5 | नेपाली | देवनागरी |
6 | बोडो | देवनागरी |
7 | मराठी | देवनागरी |
8 | मैथिली | तिरहुता / देवनागरी |
9 | संताली | ओलचिकि / देवनागरी |
10 | गुजराती | गुजराती, देवनागरी |
11 | कश्मीरी | फारसी, अरबी, देवनागरी, शारदा |
12 | सिंधी | फारसी-अरबी / देवनागरी |
13 | असमिया | असमिया |
14 | ओड़िआ | ओड़िआ |
15 | उर्दू | फारसी-अरबी |
16 | कन्नड | कन्नड |
17 | तमिल | तमिल |
18 | तेलुगु | तेलुगु |
19 | पंजाबी | गुरमुखी |
20 | बांग्ला | बांग्ला |
21 | मणिपुरी | मैतेई |
22 | मलयालम | मलयालम |
देवनागरी लिपि तथा हिंदी वर्तनी का मानकीकरण का यह संस्करण हिंदी भाषा के आधुनिकीकरण, मानकीकरण और कंप्यूटरीकरण के क्षेत्र में नई दिशा प्रशस्त करेगा।
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