श्री अमरनाथ माहात्म्यम (Shri Amarnath Mahatmya) - Summary
श्री अमरनाथ माहात्म्यम – अमरनाथ यात्रा का महत्व
श्री अमरनाथ माहात्म्यम में बाबा अमरनाथ की विशेषताओं और यात्रा का महत्व निहित है। यहां की पवित्र गुफा में प्राकृतिक शिवलिंग का होना एक अनोखी बात है, और इसके दर्शन का गहरा महत्व है। गुफा से बर्फ के पानी की बूंदें टपकती हैं, जिससे लगभग 10 फुट ऊंचा पवित्र शिवलिंग बनता है। इसे देखने के लिए हर साल लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं। आषाढ़ महीने की पूर्णिमा से लेकर रक्षाबंधन तक, पूरे श्रावण महीने में पवित्र शिवलिंग के दर्शन होते हैं। चंद्रमा के घटने-बढ़ने के साथ-साथ बर्फ से बने शिवलिंग का आकार बदलता है, और अमावस्या तक यह धीरे-धीरे छोटा होता जाता है। 😊
अमरनाथ की गुफा में अमरत्व का रहस्य
यह अमरनाथ गुफा वह स्थान है जहां भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था। कहा जाता है कि जब भगवान शिव माता पार्वती को यह कथा सुनाने ले जा रहे थे, तब उन्होंने पहलगाम में लगभग 96 किलोमीटर दूर आराम किया। यहां उन्होंने अपने बैल नंदी को भी छोड़ा था। इसके बाद, छोटे-छोटे नागों को अनंतनाग में, चंदन को चंदनबाड़ी में, पिस्सुओं को पिस्सू टापू पर एवं शेषनाग को शेषनाग पर छोड़ा। अमरनाथ यात्रा के दौरान ये सभी स्थल रास्ते में आते हैं और इनके दर्शन करना भाग्यशाली श्रद्धालुओं के लिए संभव होता है। इस यात्रा का महत्व समझने के लिए यह कहना कम होगा कि यह अद्भुत अनुभव है।
बाबा अमरनाथ का इतिहास
बाबा अमरनाथ के दर्शन के लिए जाने वाले श्रद्धालु “बाबा बर्फानी की जय” के नारे लगाते हुए आगे बढ़ते हैं। अमरनाथ यात्रा से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं भी हैं। कहा जाता है कि भगवान शिव ने माता पार्वती को इसी गुफा में अमर कथा सुनाई थी। उस समय उनके साथ एक कबूतर जोड़ा भी मौजूद था, जिसने कथा सुनकर अमर हो गया। आज भी अमरनाथ की यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं को यह कबूतर का जोड़ा दिखाई देता है।
ऐसा भी कहा जाता है कि भगवान शिव ने जब माता पार्वती को गुफा में कथा सुनाई, तो उसमें अमरनाथ यात्रा और उसकी राह में पड़ने वाले स्थलों का भी वर्णन किया गया था। बाबा अमरनाथ के दर्शन के लिए श्रद्धालु कठिनाईयों का सामना करके पहुंचते हैं और अपनी जिंदगी को धन्य बनाते हैं।
Amarnath Yatra 2021 Registration Form
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