Surya Chalisa Lyrics (सूर्य चालीसा) Hindi PDF

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Surya Chalisa Lyrics (सूर्य चालीसा) - Summary

सूर्य चालीसा PDF – हिन्दी अनुवाद सहित – सूर्य की आराधना करते समय श्री सूर्य चालीसा का पाठ बहुत ही लाभदायी माना गया है। यदि आप भी हर प्रकार की सुख-संपत्ति और पुत्र की प्राप्ति का अनुभव करना चाहते हैं, तो यह चालीसा का पाठ करना न भूलें। इसे पढ़ने से आपके जीवन में खुशियाँ और समृद्धि आ सकती है।

शास्त्रों में सूर्य देव को ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक माना गया है। जिन लोगों के जीवन में उत्साह की कमी है और वे कार्य में सफल नहीं हो पा रहे हैं, उन्हें रोजाना सुबह सूर्य देव को जल चढ़ाकर चालीसा का पाठ करना चाहिए। इससे उनकी जीवन की कठिनाइयाँ दूर हो जाएँगी। जो व्यक्ति नियमित रूप से पूजा करते हैं, वे सफलता की नई ऊँचाइयों को छूने लगेंगे। इसके साथ ही, रोग और दोष समाप्त होकर शरीर में नई ऊर्जा का संचार होगा।

श्री सूर्य देव चालीसा हिन्दी सहित – Surya Chalisa

दोहा

कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अङ्ग।
पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के सङ्ग॥

अर्थ- सूर्य देव का शरीर स्वर्ण रंग का है, कानों में मकर के कुंडल हैं, और गले में मोतियों की माला है। हमें पद्मासन में बैठकर शंख और चक्र के साथ सूर्य भगवान का ध्यान करना चाहिए।

चौपाई

जय सविता जय जयति दिवाकर!। सहस्त्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥
भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!। सविता हंस! सुनूर विभाकर॥
विवस्वान! आदित्य! विकर्तन। मार्तण्ड हरिरूप विरोचन॥
अम्बरमणि! खग! रवि कहलाते। वेद हिरण्यगर्भ कह गाते॥
सहस्त्रांशु प्रद्योतन, कहिकहि। मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि॥

अर्थ- हे भगवान सूर्य देव, आपकी जय हो और आपके दिव्य प्रकाश का सदैव हम स्वागत करते हैं। आप ही सहस्त्राशु, सप्ताश्व, और तिमिरहर हैं। आप ही भानु, पतंग, मरीची, और भास्कर हैं। वेदों में आपको हिरण्यगर्भ कहा गया है। मुनिगण आपकी महिमा को गाकर खुश होते हैं।

अरुण सदृश सारथी मनोहर। हांकत हय साता चढ़ि रथ पर॥
मंडल की महिमा अति न्यारी। तेज रूप केरी बलिहारी॥
उच्चैःश्रवा सदृश हय जोते। देखि पुरन्दर लज्जित होते॥
मित्र मरीचि भानु अरुण भास्कर। सविता सूर्य अर्क खग कलिकर॥
पूषा रवि आदित्य नाम लै। हिरण्यगर्भाय नमः कहिकै॥
द्वादस नाम प्रेम सों गावैं। मस्तक बारह बार नवावैं॥
चार पदारथ जन सो पावै। दुःख दारिद्र अघ पुंज नसावै॥

अर्थ- सूर्य देव के सारथी अरुण हैं, जो रथ पर सवार होकर सात घोड़ों को चलाते हैं। आपके मंडल की महिमा बहुत अलग है। भगवान सूर्य का तेज स्वरूप हमारे लिए अति प्रिय है।

नमस्कार को चमत्कार यह। विधि हरिहर को कृपासार यह॥
सेवै भानु तुमहिं मन लाई। अष्टसिद्धि नवनिधि तेहिं पाई॥
बारह नाम उच्चारण करते। सहस जनम के पातक टरते॥
उपाख्यान जो करते तवजन। रिपु सों जमलहते सोतेहि छन॥
धन सुत जुत परिवार बढ़तु है। प्रबल मोह को फंद कटतु है॥

अर्थ- सूर्य नमस्कार करना चमत्कारिक होता है। जो भी सूर्यदेव की सेवा करता है, उसे अष्टसिद्धियों और नवनिधियों का लाभ मिलता है। सूर्य देव के बारह नामों का उच्चारण करने से हजारों जन्मों के पाप खत्म हो जाते हैं, और धन, संतान, और परिवार में समृद्धि बढ़ती है।

॥दोहा॥

भानु चालीसा प्रेम युत, गावहिं जे नर नित्य।
सुख सम्पत्ति लहि बिबिध, होंहिं सदा कृतकृत्य॥

अर्थ- जो भी व्यक्ति भानु चालीसा का प्रेम से पाठ करता है, उसे सुख-समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।

श्री सूर्य देव भगवान जी की पूजा विधि

  • रविवार के दिन सूर्य देव की पूजा का विधान है। हिंदू धर्म में सूर्य देव को प्रत्यक्ष दिखने वाले देवता माना जाता है।
  • सूर्य की उपासना जल्दी फल देने वाली होती है। इसलिए रविवार को पूजा करने के लिए सुबह जल्दी उठें।
  • जब सूर्य उदय हों, तो सूर्य देव को प्रणाम करें और ‘ॐ सूर्याय नमः’ या ‘ॐ घृणि सूर्याय नम:’ कहकर उन्हें जल अर्पित करें।
  • जल में लाल रोली और लाल फूल मिलाकर अर्घ्य दें।
  • अर्घ्य देने के बाद लाल आसन पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके कम से कम 108 बार सूर्य के मंत्र का जाप करें।
  • जल देने के बाद मन में प्रणाम करें और सद्बुद्धि की कामना करें।

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