विन्ध्येश्वरी चालीसा (Vindhyeshvari Chalisa) Hindi

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विन्ध्येश्वरी चालीसा (Vindhyeshvari Chalisa) in Hindi

Vindhyeshvari Chalisa - विन्ध्येश्वरी चालीसा

नमस्कार दोस्तों आज हम इस लेख के मद्यम से आपके के लिए Vindhyeshvari Chalisa PDF प्रदान कर रहे हैं जिसे आप नीचे दिए गए लिंक का उपयोग करके डाउनलोड कर सकते हैं । विन्ध्येश्वरी माँ दुर्गा के एक परोपकारी स्वरूप का नाम है। अगर आप रोज विन्ध्येश्वरी चालीसा का पाठ करते हैं तो आप पर माँ दुर्गा की जल्द कृपा होगी। इससे माँ का आशीर्वाद सदैव आपके परिवार पर बना रहेगा। शास्‍त्रों में भी चालीसा पाठ को मां की स्‍तुति के लिए सर्वोत्‍तम माना गया है।

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार विंढेश्वरी चालीसा का नियमित रूप से जाप देवी विंधेश्वरी को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने का सबसे शक्तिशाली तरीका है। विन्धेश्वरी चालीसा का नियमित पाठ करने से मन को शांति मिलती है और आपके जीवन से सभी बुराईयाँ दूर रहती हैं और आप स्वस्थ, धनवान और समृद्ध बनते हैं।

विन्ध्येश्वरी चालीसा दुर्गा चालीसा – Vindhyeshvari Chalisa Lyrics

॥ दोहा ॥

नमो नमो विन्ध्येश्वरी,नमो नमो जगदम्ब ।
सन्तजनों के काज में, करती नहीं विलम्ब ॥

॥ चौपाई ॥

जय जय जय विन्ध्याचल रानी। आदिशक्ति जगविदित भवानी ॥
सिंहवाहिनी जै जगमाता । जै जै जै त्रिभुवन सुखदाता ॥

कष्ट निवारण जै जगदेवी । जै जै सन्त असुर सुर सेवी ॥
महिमा अमित अपार तुम्हारी । शेष सहस मुख वर्णत हारी ॥

दीनन को दु:ख हरत भवानी । नहिं देखो तुम सम कोउ दानी ॥
सब कर मनसा पुरवत माता । महिमा अमित जगत विख्याता ॥

जो जन ध्यान तुम्हारो लावै । सो तुरतहि वांछित फल पावै ॥
तुम्हीं वैष्णवी तुम्हीं रुद्रानी । तुम्हीं शारदा अरु ब्रह्मानी ॥

रमा राधिका श्यामा काली । तुम्हीं मातु सन्तन प्रतिपाली ॥
उमा माध्वी चण्डी ज्वाला । वेगि मोहि पर होहु दयाला ॥ 10

तुम्हीं हिंगलाज महारानी । तुम्हीं शीतला अरु विज्ञानी ॥
दुर्गा दुर्ग विनाशिनी माता । तुम्हीं लक्ष्मी जग सुख दाता ॥

तुम्हीं जाह्नवी अरु रुद्रानी । हे मावती अम्ब निर्वानी ॥
अष्टभुजी वाराहिनि देवा । करत विष्णु शिव जाकर सेवा ॥

चौंसट्ठी देवी कल्यानी । गौरि मंगला सब गुनखानी ॥
पाटन मुम्बादन्त कुमारी । भाद्रिकालि सुनि विनय हमारी ॥

बज्रधारिणी शोक नाशिनी । आयु रक्षिनी विन्ध्यवासिनी ॥
जया और विजया वैताली । मातु सुगन्धा अरु विकराली ॥

नाम अनन्त तुम्हारि भवानी । वरनै किमि मानुष अज्ञानी ॥
जापर कृपा मातु तब होई । जो वह करै चाहे मन जोई ॥ 20

कृपा करहु मोपर महारानी । सिद्ध करहु अम्बे मम बानी ॥
जो नर धरै मातु कर ध्याना । ताकर सदा होय कल्याना ॥

विपति ताहि सपनेहु नाहिं आवै ।जो देवीकर जाप करावै ॥
जो नर कहँ ऋण होय अपारा । सो नर पाठ करै शत बारा ॥

निश्चय ऋण मोचन होई जाई । जो नर पाठ करै चित लाई ॥
अस्तुति जो नर पढ़े पढ़अवे । या जग में सो बहु सुख पावे ॥

जाको व्याधि सतावे भाई । जाप करत सब दूर पराई ॥
जो नर अति बन्दी महँ होई । बार हजार पाठ करि सोई ॥

निश्चय बन्दी ते छुट जाई । सत्य वचन मम मानहु भाई ॥
जापर जो कछु संकट होई । निश्चय देविहिं सुमिरै सोई ॥ 30

जा कहँ पुत्र होय नहिं भाई । सो नर या विधि करे उपाई ॥
पाँच वर्ष जो पाठ करावै । नौरातन महँ विप्र जिमावै ॥

निश्चय होहिं प्रसन्न भवानी । पुत्र देहिं ता कहँ गुणखानी ॥
ध्वजा नारियल आन चढ़ावै । विधि समेत पूजन करवावै ॥

नित प्रति पाठ करै मन लाई । प्रेम सहित नहिं आन उपाई ॥
यह श्री विन्ध्याचल चालीसा । रंक पढ़त होवे अवनीसा ॥

यह जन अचरज मानहु भाई । कृपा दृश्टि जापर होइ जाई ॥
जै जै जै जग मातु भवानी । कृपा करहु मोहि निज जन जानी ॥ 40

विन्ध्येश्वरी चालीसा हिन्दी अनुवाद सहित (Vindhyeshvari Chalisa in Hindi)

।। दोहा ।।

नमो नमो विन्ध्येश्वरी, नमो नमो जगदम्ब।
सन्तजनों के काज में, करती नहीं विलम्ब।।

हिन्दी अनुवाद : हे विन्ध्येश्वरी माँ!! आपको हमारा नमन है, नमन है। हे जगदम्बे माँ!! आपको हमारा नमन है, नमन है। आप सज्जन लोगों के कामकाज को करने में देरी नहीं करती हैं और उन्हें तुरंत ही पूरा कर देती हैं।

।। चौपाई ।।

जय जय जय विन्ध्याचल रानी। आदिशक्ति जगविदित भवानी।।
सिंह वाहिनी जै जगमाता। जै जै जै त्रिभुवन सुखदाता।।
कष्ट निवारिनि जय जग देवी। जै जै सन्त असुर सुर सेवी।।
महिमा अमित अपार तुम्हारी। शेष सहस मुख वर्णत हारी।।

हिन्दी अनुवाद : विन्ध्याचल पर्वत की रानी, आपकी जय हो, जय हो, जय हो। आप ही माँ आदिशक्ति और भवानी हो जिसे पूरा जगत जानता है। आपका वाहन सिंह है और आप जगत की माता हैं। आप तीनों लोकों में सुख प्रदान करने वाली हैं, इसलिए आपकी जय हो। आप हम सभी के कष्टों को दूर करती हो। संत, देवता व दैत्य सभी आपका गुणगान करते हैं। आपकी महिमा का वर्णन तो हजारों मुख मिलकर भी नहीं कर सकते हैं।

दीनन का दुःख हरत भवानी। नहिं देख्यो तुम सम कोउ दानी।।
सब कर मनसा पुरवत माता। महिमा अमित जगत विख्याता।।
जो जन ध्यान तुम्हारो लावै। सो तुरतहिं वांछित फल पावै।।
तू ही वैष्णवी तू ही रुद्रानी। तू ही शारदा अरु ब्रह्मानी।।

हिन्दी अनुवाद : आप हमेशा ही दुखी लोगों के दुखों को दूर करती हैं और आपसे बड़ा कोई दानी नहीं है। आप हमारे मन की सभी इच्छाओं को पूरा करती हो और आपका वैभव संपूर्ण जगत में फैला हुआ है। जो भी आपका ध्यान करता है, उसे तुरंत ही उसका फल मिल जाता है। आप ही माँ लक्ष्मी, माँ पार्वती, माँ शारदा व माँ सरस्वती हो।

रमा राधिका श्यामा काली। तू ही मातु सन्तन प्रतिपाली।।
उमा माधवी चण्डी ज्वाला। बेगि मोहि पर होहु दयाला।।
तू ही हिंगलाज महारानी। तू ही शीतला अरु विज्ञानी।।
दुर्गा दुर्ग विनाशिनी माता। तू ही लक्ष्मी जग सुख दाता।।

हिन्दी अनुवाद : आप ही माँ रमा, राधिका, श्यामा व काली हो। आप ही हम सभी की रक्षा करती हो। आप ही माँ उमा, माधवी, चंडी व ज्वाला हो। अब आप मुझ पर कुछ दया कीजिये। आप ही हिंगलाज की महारानी व शीतला माता के जैसे ज्ञान की देवी हो। आप ही माँ दुर्गा के जैसे विध्वंसक तथा लक्ष्मी माता के जैसे सुख देने वाली हो।

तू ही जान्हवी अरु उत्रानी। हेमावती अम्ब निर्वानी।।
अष्टभुजी वाराहिनी देवा। करत विष्णु शिव जाकर सेवा।।
चौसट्ठी देवी कल्यानी। गौरी मंगला सब गुणखानी।।
पाटन मुम्बा दन्त कुमारी। भद्रकालि सुनु विनय हमारी।।

हिन्दी अनुवाद : आप ही माँ जाह्नवी, उत्रानी, हेमावती व अम्बा हो। आप ही आठ भुजाओं सहित माँ वाराहिनी देवी हो। आपकी तो स्वयं भगवान विष्णु व शिव सेवा करते हैं। आप माँ के चौंसठ रूप लिए माँ गौरी व मंगला हो। आप ही माँ पाटन, मुम्बा व दंतकुमारी हो। हे माँ भद्रकाली!! अब आप हमारी विनती सुन लीजिये।

बज्र धारिणी शोक नाशिनी। आयु रक्षिनी विन्ध्यवासिनी।।
जया और विजया बैताली। मातु संकटी अरु विकराली।।
नाम अनन्त तुम्हार भवानी। वरनै किमि मानुष अज्ञानी।।
जापर कृपा मात तव होई। जो वह करै चहै मन जोई।।

हिन्दी अनुवाद : आप बज्र को धारण करने वाली और हम सभी का दुःख दूर करने वाली हो। आप विंध्यवासिनी के रूप में हमारे जीवन की रक्षा करती हो। आप ही माँ जया व विजया हो और हम सभी के संकट दूर करती हो। आपके तो कई नाम हैं और मैं मूर्ख मनुष्य उन सभी को जान भी नहीं सकता हूँ। जिस पर भी माँ की कृपा होती है, उसके सभी काम बन जाते हैं।

कृपा करहु मोपर महारानी। सिद्ध करिए अब यह मम बानी।।
जो नर धरै मात तव ध्याना। ताकर सदा होय कल्याना।।
विपति ताहि सपनेहु नहिं आवै। जो देवी कर जाप करावै।।
जो नर कहँ ऋण होय अपारा। सो नर पाठ करै शतबारा।।
निश्चय ऋण मोचन होई जाई। जो नर पाठ करै मन लाई।।

हिन्दी अनुवाद : हे मातारानी!! अब आप मुझ पर भी कृपा कीजिये और मेरे सब काम बना दीजिये। जो भी मनुष्य माता विन्ध्येश्वरी का ध्यान करता है, उसका हमेशा ही कल्याण होता है। जो भी विन्ध्येश्वरी चालीसा का पाठ करता है, उसके सपने में भी किसी तरह की विपत्ति नहीं आती है। जिस भी व्यक्ति पर ऋण अत्यधिक चढ़ गया है, उसे माता विंध्यवासिनी चालीसा का सौ बार पाठ करना चाहिए। यदि वह सच्चे मन से माँ विन्ध्येश्वरी चालीसा का पाठ कर लेता है तो वह ऋण मुक्त हो जाता है।

अस्तुति जो नर पढ़े पढ़ावै। या जग में सो अति सुख पावे।।
जाको व्याधि सतावै भाई। जाप करत सब दूर पराई।।
जो नर अति बन्दी महँ होई। बार हजार पाठ कर सोई।।
निश्चय बन्दी ते छुटि जाई। सत्य वचन मम मानहु भाई।।

हिन्दी अनुवाद : जो भी व्यक्ति माँ विन्ध्येश्वरी स्तुति को पढ़ता है या दूसरों को सुनाता है, वह परम सुख को प्राप्त करता है। यदि आपको कोई रोग सता रहा है तो वह भी मातारानी की कृपा से दूर हो जाता है। यदि आप किसी जगह बंदी बना लिए गए हैं तो आपको रात में एक हज़ार बार विंध्यवासिनी चालीसा का पाठ करके सोना चाहिए। वह व्यक्ति अपने आप ही बंधन मुक्त हो जाता है और यह परम सत्य है।

जापर जो कछु संकट होई। निश्चय देविहिं सुमिरे सोई।।
जा कहं पुत्र होय नहिं भाई। सो नर या विधि करे उपाई।।
पाँच वर्ष जो पाठ करावे। नौरातन महँ विप्र जिमावे।।
निश्चय होहिं प्रसन्न भवानी। पुत्र देहिं ता कहँ गुणखानी।।

हिन्दी अनुवाद : यदि आप पर किसी प्रकार का संकट आया है तो आपको निश्चित रूप से माँ विन्ध्येश्वरी देवी का ध्यान करना चाहिए। यदि किसी दंपत्ति को पुत्र प्राप्ति नहीं हो रही है तो उसे यह उपाय करना चाहिए। उसे पांच वर्ष तक माँ विंध्यवासिनी चालीसा का पाठ करवाना चाहिए तथा नौरातन में विप्र को जिमाना चाहिए। इससे माँ विंध्यवासिनी प्रसन्न होकर पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद देती हैं।

ध्वजा नारियल आनि चढ़ावे। विधि समेत पूजन करवावे।।
नितप्रति पाठ करे मन लाई। प्रेम सहित नहिं आन उपाई।।
यह श्री विन्ध्याचल चालीसा। रंक पढ़त होवे अवनीसा।।
यह जनि अचरज मानहुँ भाई। कृपा दृष्टि जापर हुई जाई।।
जै जै जै जग मातु भवानी। कृपा करहु मोहि पर जन जानी।।

हिन्दी अनुवाद :जो भी भक्तगण माँ विन्ध्येश्वरी को ध्वजा व नारियल चढ़ाता है, पूरे विधि-विधान के साथ और प्रतिदिन सुबह के समय सच्चे मन से विन्ध्येश्वरी चालीसा का पाठ करता है, उसके सभी काम अपने आप ही बन जाते हैं। यदि निर्धन भी इस विन्धयेश्वरी चालीसा का पाठ करता है तो उस पर भी मातारानी की कृपा होती है। यह एक सत्य बात है और आपको इसे मानना होगा। हे माता भवानी!! आपकी जय हो और अब आप मुझ पर भी कृपा कीजिये।

आरती श्री माँ विन्ध्येश्वरी जी की – Vindhyeshvari Aarti

सुन मेरी देवी पर्वत वासिनी तेरा पार न पाया ॥
पान सुपारी ध्वजा नारियल ले तरी भेंट चढ़ाया । सुन.।
सुवा चोली तेरे अंग विराजे केसर तिलक लगाया । सुन.।
नंगे पग अकबर आया सोने का छत्र चढ़ाया । सुन.।
उँचे उँचे पर्वत भयो दिवालो नीचे शहर बसाया । सुन.।
कलियुग द्वापर त्रेता मध्ये कलियुग राज सबाया । सुन.।
धूप दीप नैवेद्य आरती मोहन भोग लगाया । सुन.।
ध्यानू भगत मैया तेरे गुण गावैं मनवांछित फल पाया । सुन.।

विन्धेश्वरी चालीसा के लाभ

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