Totakashtakam (तोटकाष्टकम्) - Summary
तोटकाष्टकम् (Totakashtakam) एक प्रभावशाली स्तुति है, जिसे आदि शंकराचार्य द्वारा रचित किया गया है। यह एक महत्वपूर्ण हिन्दी ध्यानमंत्र है जो भक्ति और आध्यात्मिकता के मूल संकेतों को समेटता है। आदि शंकराचार्य द्वारा संकलित तोटकाष्टकम् आध्यात्मिक अनुयायियों के लिए विशेष महत्व रखता है।
तोटकाष्टकम् आपके मन और आत्मा को प्रभावित करने की अद्भुत क्षमता रखता है। यह आपकी आंतरिक शांति और आध्यात्मिक वृद्धि के लिए सही मार्गदर्शन करता है।
तोटकाष्टकम् के महत्व
तोटकाष्टकम् स्वतंत्रता के प्रतीक और ईश्वरीय संयम का प्रतीक है। हमारे प्लेटफ़ॉर्म पर जाकर इस प्राचीन प्रार्थना के अनुवाद का आनंद लें और इसके चमत्कारी पंक्तियों में डूब जाएं। “तोटकाष्टकम्” आपको आध्यात्मिक मुक्ति की ओर आमंत्रित करता है और आपके अंतर्मन को जाग्रत करता है। 🌼
Totakashtakam (तोटकाष्टकम्) in Sanskrit
विदिताखिलशास्त्रसुधाजलधे
महितोपनिषत् कथितार्थनिधे ।
हृदये कलये विमलं चरणं
भव शङ्कर देशिक मे शरणम् ॥ १ ॥
करुणावरुणालय पालय मां
भवसागरदुःखविदूनहृदम् ।
रचयाखिलदर्शनतत्त्वविदं
भव शङ्कर देशिक मे शरणम् ॥ २ ॥
भवता जनता सुहिता भविता
निजबोधविचारण चारुमते ।
कलयेश्वरजीवविवेकविदं भव
शङ्कर देशिक मे शरणम् ॥ ३ ॥
भव एव भवानिति मे नितरां
समजायत चेतसि कौतुकिता ।
मम वारय मोहमहाजलधिं
भव शङ्कर देशिक मे शरणम् ॥ ४ ॥
सुकृतेऽधिकृते बहुधा भवतो
भविता समदर्शनलालसता ।
अतिदीनमिमं परिपालय मां
भव शङ्कर देशिक मे शरणम् ॥ ५ ॥
जगतीमवितुं कलिताकृतयो
विचरन्ति महामहसश्छलतः ।
अहिमांशुरिवात्र विभासि गुरो
भव शङ्कर देशिक मे शरणम् ॥ ६ ॥
गुरुपुङ्गव पुङ्गवकेतन ते
समतामयतां नहि कोऽपि सुधीः ।
शरणागतवत्सल तत्त्वनिधे
भव शङ्कर देशिक मे शरणम् ॥ ७ ॥
विदिता न मया विशदैककला
न च किञ्चन काञ्चनमस्ति गुरो ।
द्रुतमेव विधेहि कृपां सहजां
भव शङ्कर देशिक मे शरणम् ॥ ८ ॥
इति श्री तोटकाष्टकं पूर्ण ||
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