श्राद्ध विवेक (Sraddha Vivek) in Hindi
श्राद्ध विवेक (Sraddha Vivek)
श्राद्ध विवेकः एक ऐसी धर्म पुस्तक है जिसमें सम्पूर्ण विस्तृत श्राद्ध कर्म पद्धति वर्णित की गयी है। श्राद्ध विवेकः के मार्गदर्शन द्वारा आप वैदिक विधि द्वारा अपने पितरों का श्राद्ध तरपान कर सकते हैं। वैदिक विधि द्वारा श्राद्ध कर्म करने से पितरों को संतुष्टि प्राप्त होती है तथा वह तृप्त हो जाते हैं।अनेक विद्द्वान श्राद्ध क्रम आदि करने हेतु इसी पुस्तक का प्रयोग करते हैं तथा उन्हके द्वारा इसका सुझाव भी दिया जाता है। यदि आप इस पुस्तक द्वारा घर श्राद्ध करने में असमर्थ हैं तब भी किस विद्द्वान पण्डित जी द्वारा इसी पुस्तक से के माध्यम से तर्पण करवा सकते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार, अश्विन मास की पूर्णिमा तिथि से पितृपक्ष आरंभ होंगे। पितृ पक्ष अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि से कुल 16 दिनों तक मनाए जाते हैं। श्राद्ध कर्म पितृ लोक में निवास कर रहे मृत पूर्वजों की तृप्ति हेतु किया जाता है। हिन्दू धर्म में माता-पिता की सेवा को सर्वाधिक महत्व दिया गया है। अतः मृत्यु उपरान्त मनुष्य अपने माता – पिता विस्मृत न कर दें, इसलिए उनका श्राद्ध तर्पण व पिण्डदान करने का विशेष विधान बताया गया है। भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या तक के सोलह दिनों की समयावधि को पितृपक्ष कहा जाता है, जिसके अन्तर्गत हम अपने पूर्वजों की सेवा करते हैं।
श्राद्ध में क्या न करे?
- रात में कभी भी श्राद्ध नहीं करना चाहिए, क्योंकि रात को राक्षसी का समय माना गया है।
- संध्या के वक़्त भी श्राद्ध नहीं करना चाहिए।
- श्राद्ध में कभी भी मसूर की दाल, मटर, राजमा, कुलथी, काला उड़द, सरसों एवं बासी भोजन आदि का प्रयोग करनावर्जित माना गया है।
- श्राद्ध के वक़्त घर में तामसी भोजन नहीं बनाना चाहिए।
- इस समय हर तरह के नशीले पदार्थों के सेवन से दूरी बनानी चाहिए।
- पितृ पक्ष के दिनों में शरीर पर तेल, सोना, इत्र और साबुन आदि का उपयोग नहीं करना चाहिए।
- श्राद्ध करते समय क्रोध, कलह और जल्दबाजी नही करनी चाहिए।
श्राद्ध में क्या करना चाहिए?
- पिता का श्राद्ध पुत्र द्वारा किया जाना चाहिए। पुत्र की अनुपस्थिति में उसकी पत्नी श्राद्ध कर सकती है।
- श्राद्ध में बनने वाले पकवान पितरों की पसंद के होने चाहिये।
- श्राद्ध में गंगाजल, दूध, शहद, और तिल का उपयोग सबसे ज़रूरी माना गया है।
- श्राद्ध में ब्राह्मणो को सोने, चांदी, कांसे और तांबे के बर्तन में भोजन कराना सर्वोत्तम माना जाता हैं।
- श्राद्ध पर भोजन के लिए ब्राह्मणों को अपने घर पर आमंत्रित करना चाहिए।
- मध्यान्हकाल में ब्राह्मण को भोजन खिलाकर और दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।
- इस दिन पितर स्तोत्र का पाठ और पितर गायत्री मंत्र आदि का जाप दक्षिणा मुखी होकर करना चाहिए।
- श्राद्ध के दिन कौवे, गाय और कुत्ते को ग्रास अवश्य डालनी चाहिए क्योंकि इसके बिना श्राद्ध अधूरा माना जाता है।
आप नीचे दिए गए लिंक का उपयोग करके (श्राद्ध विवेक) Sraddha Vivek PDF में प्राप्त कर सकते हैं।