Kamal Netra Stotra कमल नेत्र स्तोत्र - Summary
कमल नेत्र स्तोत्र एक बहुत खास और ताकतवर हिंदू स्तोत्र है। यह स्तोत्र भगवान राम और कृष्ण की महानता और सुंदरता बताता है, खासकर उनकी कमल जैसी खूबसूरत आंखों की तारीफ करता है। कमल नेत्र स्तोत्र पढ़ने से दिल में अच्छी भावनाएं आती हैं, शांति मिलती है और जीवन में खुशहाली आती है। अगर आप Kamal Netra Stotra को PDF फॉर्मेट में डाउनलोड करना चाहते हैं, तो आप इसे बहुत आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं। इस PDF को डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल करें।
कमल नेत्र स्तोत्र का आध्यात्मिक महत्व
कमल नेत्र स्तोत्र को रोज पढ़ने से हमारा मन शांत रहता है। यह मुश्किल वक्त में हिम्मत देता है, ताकि हम परेशानियों का सामना कर सकें। यह स्तोत्र पढ़ने वाले भक्तों को भगवान राम और कृष्ण का आशीर्वाद मिलता है। इससे जीवन में सफलता और खुशी आती है। Kamal Netra Stotra PDF डाउनलोड करके आप इसे कभी भी पढ़ सकते हैं।
कमल नेत्र स्तोत्र PDF डाउनलोड करने की जानकारी और फायदे
कमल नेत्र स्तोत्र को अपनी रोज़ की पूजा या प्रार्थना में शामिल करने से भगवान के प्रति आपकी आस्था और गहरी होती है। आप चाहें तो इस Kamal Netra Stotra का PDF डाउनलोड कर लें। फिर आप इसका प्रिंट निकालकर बिना इंटरनेट के भी इसे पढ़ सकते हैं। कमल नेत्र स्तोत्र पढ़ना बहुत फायदेमंद होता है क्योंकि इससे हमारे जीवन में नई और अच्छी ऊर्जा आती है। यह स्तोत्र भगवान राम और कृष्ण की कृपा और आशीर्वाद पाने के लिए बहुत अच्छा है। इसे पढ़ने से भक्तों को संतोष, खुशहाली और धन की प्राप्ति में भी मदद मिलती है।
कमल नेत्र स्तोत्र (Kamal Netra Stotra) क्यों महत्वपूर्ण है?
Kamal Netra Stotra को रोजाना नियम से पढ़ने से मन में शांति और सुकून आता है। यह भक्तों को जीवन में आने वाली मुश्किलों से लड़ने में मदद करता है। यह स्तोत्र खास तौर पर उन लोगों के लिए अच्छा है जो भगवान राम और कृष्ण से बहुत प्यार करते हैं और अपनी भक्ति को और मजबूत बनाना चाहते हैं। आप कमल नेत्र स्तोत्र PDF डाउनलोड करके इसका पाठ कर सकते हैं।
कमल नेत्र स्तोत्र (Kamal Netra Stotra) डाउनलोड करें 2025
श्री कमल नेत्र कटि पीताम्बर, अधर मुरली गिरधरम। मुकुट कुण्डल कर लकुटिया, सांवरे राधेवरम॥ कूल यमुना धेनु आगे, सकल गोपयन के मन हरम। पीत वस्त्र गरुड़ वाहन, चरण सुख नित सागरम॥ करत केल कलोल निश दिन, कुंज भवन उजागरम। अजर अमर अडोल निश्चल, पुरुषोत्तम अपरा परम॥ दीनानाथ दयाल गिरिधर, कंस हिरणाकुश हरणम। गल फूल भाल विशाल लोचन, अधिक सुन्दर केशवम॥ बंशीधर वासुदेव छइया, बलि छल्यो श्री वामनम। जब डूबते गज राख लीनों, लंक छेद्यो रावनम॥ सप्त दीप नवखण्ड चौदह, भवन कीनों एक पदम। द्रोपदी की लाज राखी, कहां लौ उपमा करम॥ दीनानाथ दयाल पूरण, करुणा मय करुणा करम। कवित्तदास विलास निशदिन, नाम जप नित नागरम॥ प्रथम गुरु के चरण बन्दों, यस्य ज्ञान प्रकाशितम। आदि विष्णु जुगादि ब्रह्मा, सेविते शिव संकरम॥ श्रीकृष्ण केशव कृष्ण केशव, कृष्ण यदुपति केशवम। श्रीराम रघुवर, राम रघुवर, राम रघुवर राघवम॥ श्रीराम कृष्ण गोविन्द माधव, वासुदेव श्री वामनम। मच्च कच्छ वाराह नरसिंह, पाहि रघुपति पावनम॥ मथुरा में केशवराय विराजे, गोकुल बाल मुकुन्द जी। श्री वृन्दावन में मदन मोहन, गोपीनाथ गोविन्द जी॥ धन्य मथुरा धन्य गोकुल, जहाँ श्री पति अवतरे। धन्य यमुना नीर निर्मल, ग्वाल बाल सखावरे॥ नवनीत नागर करत निरन्तर, शिव विरंचि मन मोहितम। कालिन्दी तट करत क्रीड़ा, बाल अदभुत सुन्दरम॥ ग्वाल बाल सब सखा विराजे, संग राधे भामिनी। बंशीवट तट निकट यमुना, मुरली की टेर सुहावनी॥ भज राघवेश रघुवंश उत्तम, परम राजकुमार जी। सीता के पति भक्तन के गति, जगत प्राण आधार जी॥ जनक राजा पनक राखी, धनुष बाण चढ़ावहीं। सती सीता नाम जाके, श्री रामचन्द्र प्रणामहीं॥ जन्म मथुरा खेल गोकुल, नन्द के हृदि नन्दनम। बाल लीला पतित पावन, देवकी वसुदेवकम॥ श्रीकृष्ण कलिमal हरण जाके, जो भजे हरिचरण को। भक्ति अपनी देव माधव, भवसागर के तरण को॥ जगन्नाथ जगदीश स्वामी, श्री बद्रीनाथ विश्वम्भरम। द्वारिका के नाथ श्री पति, केशवं प्रणमाम्यहम॥ श्रीकृष्ण अष्टपदपढ़तनिशदिन, विष्णु लोक सगच्छतम। श्रीगुरु रामानन्द अवतार स्वामी, कविदत्त दास समाप्ततम॥
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