Kabir Granthawali (कबीर ग्रंथावली) PDF Hindi

Kabir Granthawali (कबीर ग्रंथावली) Hindi PDF Download

Download PDF of Kabir Granthawali (कबीर ग्रंथावली) in Hindi from the link available below in the article, Hindi Kabir Granthawali (कबीर ग्रंथावली) PDF free or read online using the direct link given at the bottom of content.

0 People Like This
REPORT THIS PDF ⚐

Kabir Granthawali (कबीर ग्रंथावली) Hindi

Kabir Granthawali (कबीर ग्रंथावली) हिन्दी PDF डाउनलोड करें इस लेख में नीचे दिए गए लिंक से। अगर आप Kabir Granthawali (कबीर ग्रंथावली) हिन्दी पीडीएफ़ डाउनलोड करना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही जगह आए हैं। इस लेख में हम आपको दे रहे हैं Kabir Granthawali (कबीर ग्रंथावली) के बारे में सम्पूर्ण जानकारी और पीडीएफ़ का direct डाउनलोड लिंक।

कबीर हिन्दी साहित्य के भक्तिकालीन युग में ज्ञानाश्रयी-निर्गुण शाखा की काव्यधारा के प्रवर्तक थे। इनकी रचनाओं ने हिन्दी प्रदेश के भक्ति आंदोलन को गहरे स्तर तक प्रभावित किया। उनका लेखन सिखों के आदि ग्रंथ में भी देखने को मिलता है। वे हिन्दू धर्म व इस्लाम को न मानते हुए धर्म निरपेक्ष थे। वे हिन्दू धर्म व इस्लाम को न मानते हुए धर्म निरपेक्ष थे। उन्होंने सामाज में फैली कुरीतियों, कर्मकांड, अंधविश्वास की निंदा की और सामाजिक बुराइयों की कड़ी आलोचना की थी। उनके जीवनकाल के दौरान हिन्दू और मुसलमान दोनों ने उन्हें अपने विचार के लिए धमकी दी थी।

अत्यन्त सतर्कता से निर्धारित समस्त ‘निश्चेष्ट’ और ‘सचेष्ट’ पाठ-विकृतियों की सहायता से विभिन्न प्रतियों का पाठ-सम्बन्ध निर्धारित किया गया है। और तदनन्तर केवल उन्हीं अंशों को कबीर वाणी के रूप में संकलित किया गया है जो किन्हीं दो या अधिक ऐसी प्रतियों में मिलती हैं जो परस्पर किसो भी प्रकार के संकीणं-सम्बन्ध से संबद्ध नहीं हैं और उन्हीं का ठीक-ठीक पाठ । निर्धारण भी इसी सिद्धांत पर किया गया है । किसी रचना की विभिन्न प्रतियों का अवलम्ब लेकर काल के स्थूल पावराण को भेद कर उसके मूल रूप तक पहुँचने का यही एक मात्र अमोघ साधन है।

Kabir Granthawali (कबीर ग्रंथावली)

पंडितों, मौलवियों, योगियों आदि से लोहा लेकर कबीर ने जन साधारण के स्वानुभूतिजन्य विचारों और भावों की मूल्यवत्ता स्थापित की। कबीर की वाणी संत-कंठ से निसृत होकर साधकों, अनुयायियों एवं लोक जीवन मे स्थान एवं रुचि भेद के अनुसार विविध रूपों में परिणित हो गयी। इसलिए कबीर की वाणी के प्रामाणिक पाठ निर्धारण की जटिल समस्या खड़ी हो गयी। कबीर पंथ में बीजक की श्रेष्ठता मान्य है, विद्वानों ने ग्रंथावलियों को महत्व दिया है। सामान्य जन के लिए लोक में व्याप्त कबीर वाणी ग्राह्र है।

कबीर निर्गुण सन्त काव्यधारा के ऐसे शब्द-साधक हैं जिन्होंने अपने युग की धार्मिक, सामाजिक एवं राजनीतिक व्यवस्था से टकराकर अद्भुत शक्ति प्राप्त की। पारम्परिक सांस्कृतिक प्रवाह में सम्मिलित प्रदूषित तत्वों को छानकर उसे मध्यकाल के लिए ही आस्वादनीय नहीं, बल्कि आधुनिक जनमानस के लिए भी उपयोगी बना दिया। भारतीय धर्म साधना में निडर तथा अकुंठित व्यक्तित्व विरले है।

अतः तीनों परम्परओं में से किसी को भी त्यागना उचित नहीं है। फलतः कबीर की रचनाओं का समग्र रूप तीनों के समाहार से ही संभव है। प्रस्तुत ग्रंथावली का संपादन इसी दृष्टि से किया गया है। इसमें अपनी इच्छित दिशा में आवश्यकता से अधिक खींचकर पाठकीय सोच को कुंठित करने की चेष्टा नहीं की गयी है। कबीर-वाणी के प्रामाणिक एवं समग्र पाठ से तथा उसमें निहित विचारों, भावों एवं समग्र पाठ की दृष्टि से तथा उनमें निहित विचारों, भावों एवं अनुभूतियों को उद्घाटित करने की दृष्टि से यह कृति निश्चित ही उपादेय सिद्ध होगी।

आप नीचे दिए गए लिंक का उपयोग करके Kabir Granthawali (कबीर ग्रंथावली) PDF में डाउनलोड कर सकते हैं। 

2nd Page of Kabir Granthawali (कबीर ग्रंथावली) PDF
Kabir Granthawali (कबीर ग्रंथावली)

Download link of PDF of Kabir Granthawali (कबीर ग्रंथावली)

REPORT THISIf the purchase / download link of Kabir Granthawali (कबीर ग्रंथावली) PDF is not working or you feel any other problem with it, please REPORT IT by selecting the appropriate action such as copyright material / promotion content / link is broken etc. If this is a copyright material we will not be providing its PDF or any source for downloading at any cost.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *