Jain Diwali Puja Vidhi Hindi PDF

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Jain Diwali Puja Vidhi - Summary

जैन दीपावली पूजा विधि में दिव्य ज्ञान और वैराग्य की लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि दीपावली के दिन भगवान महावीर ने निर्वाण प्राप्त किया था। उनके ज्ञान को भगवान गौतम गणधर ने साझा किया, इसलिए ज्ञान-लक्ष्मी या वैराग्य-लक्ष्मी का पूजन इस अवसर पर अत्यंत प्रशंसनीय है। वर्तमान समय में, लक्ष्मी का पूजन हमारे लिए आवश्यक और वांछनीय है। इसलिए, ज्ञान-लक्ष्मी, वैराग्य-लक्ष्मी और धन-लक्ष्मी का पूजा दीपावली महापर्व पर करने का महत्व है।

जैन दिवाली पूजा विधि – Jain Diwali Puja Vidhi

इस पूजा-पद्धति में जैन धर्म के अनुसार संक्षिप्त पूजा विधि दी जा रही है। पूजा के कार्यों को गृहस्थी के आचार्य द्वारा संपन्न करवाना सर्वोत्तम होता है। यदि आचार्य उपलब्ध नहीं हैं, तो आप स्वयं भी इसे कर सकते हैं। पूजा आरंभ करने के पहले, स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और आवश्यक सामग्री पहले से एकत्रित कर लें। इसके लिए सामग्री की एक सूची भी दी जा रही है। साथ ही मुहूर्त और अन्य विधान की जानकारी भी शामिल है।

जैन दिवाली पूजा विधि – Jain Diwali Puja Vidhi

  • प्रातः सूर्योदय के समय स्नान करके पवित्र वस्त्र पहनें और परिवार के साथ जिनेन्द्र देव के मंदिर में जाकर उनकी वन्दना करें।
  • उसके बाद थाली में या मूलनायक की वेदी पर सोलह दीपक, चार-चार बाती वाले जलाएं।
  • भगवान महावीर स्वामी की पूजा करें, निर्वाण काण्ड पढ़ें और महावीर स्वामी के मोक्ष कल्याणक का अर्घ बोलकर, निर्वाण लड्डू अर्घ सहित चढ़ाएं। पूजा करते समय मुख पूर्व या उत्तर दिशा में रखें। परिवार के बड़े सदस्य या दुकान के मालिक को ध्यान से पूजा करनी चाहिए, और सभी को एक साथ पूजा का पाठ करना चाहिए। पूजा शुरू करने से पहले उपस्थित सभी सज्जनों को तिलक लगाना चाहिए और उनके दाहिने हाथ में कंकण बांधना चाहिए। तिलक करते समय नीचे दिया गया श्लोक पढ़ें।

मंगलम भगवान वीरो, मंगलम गौतमो गणी।

मंगलम कुन्द कुन्दार्यो, जैन धर्मोस्तु मंगलम्।।

  • तिलक करने के बाद नित्य-नियम के अनुसार पूजा करके श्री महावीर स्वामी, श्री गौतम गणधर स्वामी और श्री सरस्वती देवी की पूजा करनी चाहिए।
  • पूजा के लिए आवश्यक सामग्री में शामिल हैं: अष्ट द्रव्य, धूपदान, दीपक, लाल चोल, सरसों, थाली, श्रीफल, लोटा जल, लच्छा, शाख, धूप, अगरबत्ती, पाटे, चौकी, कुंकुम, केसर, कोरे पान, दवात, कलम (या लीड)।
  • सिन्दूर और घी मिलाकर (श्री महावीरायनमः और लाभ शुभ को दुकान की दीवाल पर लिखने के लिए) फूलमालाएँ, नई बहियाँ, माचिस, कपूर, देशी सुपारी आदि सामग्री रखें।

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