Jain Diwali Puja Vidhi Hindi

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Jain Diwali Puja Vidhi Hindi

दीपावली के पावन पर्व पर धन-लक्ष्मी की बजाए ज्ञान-लक्ष्मी या वैराग्य-लक्ष्मी का पूजन अतिमहत्वपूर्ण माना गया है। इसके पीछे प्रमुख एवं मूलभूत कारण यह है कि दीपावली अर्थात कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के पश्चात अमावस्या की प्रातः स्वाति नक्षत्र उदित होने पर भगवान महावीर ने निर्वाण प्राप्त किया।  कैवल्य ज्ञान को भगवान गौतम गणधर ने गृहीत कर भगवान महावीर के दिव्य संदेश का प्रकाशपुंज संसार में आलोकित किया, इसलिए ज्ञान-लक्ष्मी या वैराग्य-लक्ष्मी का पूजन प्रशस्त है। किंतु वर्तमान अर्थप्रधान युग में लक्ष्मी न केवल आवश्यक है वरन वांछनीय भी। अतः ज्ञान-लक्ष्मी, वैराग्य-लक्ष्मी व धन-लक्ष्मी का पूजन दीपावली महापर्व पर प्रासंगिक है।

प्रस्तुत पूजन-पद्धति में जैन मत से संक्षिप्त पूजा प्रकार दिया जा रहा है। पूजन कर्म गृहस्थी के आचार्य से संपन्न करवाएँ। उनके अभाव में स्वयं कर सकें इसलिए संक्षिप्त विधि दी जा रही है। पूजन हेतु शौच इत्यादि से निवृत्त होकर स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनें। पूजन हेतु आवश्यक सामग्री पहले ही एकत्रित कर लें। सुविधा के लिए सामान की सूची संलग्न की जा रही है। मुहूर्त एवं अन्य विधान की जानकारी भी संलग्न है।

जैन दिवाली पूजा विधि – Jain Diwali Puja Vidhi

  • प्रातःकाल सूर्योदय के समय स्नानादि करके पवित्र वस्त्र पहनकर जिनेन्द्र देव के मंदिर में परिवार के साथ पहुँचकर जिनेन्द्र देव की वन्दना करनी चाहिए।
  • तदुपरान्त थाली में अथवा मूलनायक की वेदी पर सोलह दीपक चार चार बाती वाले जलाना चाहिए
  • भगवान महावीर स्वामी की पूजन, निर्वाण काण्ड पढ़ने के पश्चात् महावीर स्वामी के मोक्ष कल्याणक का अर्घ बोलकर, निर्वाण लड्डू अर्घ सहित चढ़ाना चाहिए।पूजा करने वाले को पूर्व या उत्तर दिशा में मुख कर के पूजा करना चाहिये। जो परिवार में बडा हो या दुकान का मालिक हो वह चित्त एकाग्र कर पूजा करे और उपस्थित  सभी लिग पूजा बोलें तथा शांति से सुनें। पूजा प्रारम्भ करने से पहले उपस्थित सब सज्जनों को तिलक लगाना चाहिये तथा दाहिने हाथ में कंकण बाँधना चाहिये। तिलक करते समय नीचे लिखा श्लोक पढे।

मंगलम भगवान वीरो, मंगलम गौतमो गणी।
मंगलम कुन्द कुन्दार्यो, जैन धर्मोस्तु मंगलम्।।

  • तिलक करने के बाद नित्य-नियम-पूजा करके श्री महावीर स्वामी श्री गौतम गणधर स्वामी तथा श्री सरस्वती देवी की पूजा करनी चाहिये।
  • अष्ट द्रव्य धुले हुए, धूपदान 1, दीपक 2, लालचोल 1 मीटर, सरसों 50 ग्राम, थाली 1, श्रीफल1, लोटा जल का1, लच्छा, शाख 1, धूप 50ग्राम, अगरबत्ती, पाटे 2, चौकी 1, कुंकुम 50ग्राम, केसर पिसी हुई, कोरे पान, दवात, कलम (या लीड) 2
  • सिन्दूर घी मिलाकर (श्री महावीरायनमः और लाभ शुभ दुकान की दीवाल पर लिखने को) फूलमालायें, नई बहियाँ, माचिस, कपूर देशी सुपारी आदि।

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Added on 04 Nov, 2021 by Pradeep (13.233.164.178)

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