आहरशास्त्र (Aahar Shastra) - Summary
आहरशास्त्र (Aahar Shastra) हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह रोग-वृक्ष है। सम्पूर्ण वृक्ष को मानव शरीर समझकर जड़ों और पानी योग्य आहार-विहार द्वारा इस घरीर-वृक्ष को पोषण दिया जाए, तो उसका तना (रस, रक्त, मास, मज्जा, शुक्र धादि) शुद्ध होकर ऊपर आनंद, सुख, शांतिरूपी पत्ते, फूल और फल आएंगे। अभ्यचा बाज जैसी विचित्रता हो रही है, वह इस चित्र में चित्रित की गई है।
आहरशास्त्र के मुख्य उद्देश्य
इस लेख में निम्न दो उद्देश्यों पर विचार करने का सोचा है।
- पोषण-विज्ञान,
- खाद्य-तत्व |
पोषण का महत्व
पोषण शब्द के उच्चारण मात्र से हमें किसी जीवित तत्व का स्मरण होता है, क्योंकि पोषण और जीवन का दिन और रात जितना संबंध है। “पोषण किसका और क्यों?” “जीव का और जीव के विकास के लिए,” सृष्टि की उत्पत्ति में ही जीव की उत्पत्ति दीखती है। जीव की उत्पत्ति के पहले ही कुदरत ने उसके पोषण की व्यवस्था कर रखी है। या ऐसा कहें कि पोषण व्यवस्था में से ही जीव की उत्पत्ति हुई है।
एकत्रित गंदगी में हवा, गर्मी और आर्द्रता का स्पर्श होते ही कीटाणु (जीव) प्रकट होते हैं, और आश्चर्य की बात यह है कि जीव ही उस गंदगी को चट कर जाते हैं। और गंदगी के नष्ट होते ही स्वयं भी नष्ट हो जाते हैं। किन्तु इन्हें छोड़कर अन्य प्राणियों में यह विशेषता दिखाई देती है कि वे शुद्ध व प्राकृतिक वस्तुओं को ही स्वाभाविक रूप में ग्रहण करते हैं। इतना भेद होते हुए भी प्रकृति का यह पोषण चक्र एक-दूसरे पर आधारित दिखता है। तीन प्रकार के स्वतंत्र पोषण चक्र परस्पर कितने आधारित हैं, यह निम्न आकृति से स्पष्ट होगा।
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