नित्य कर्म पूजा प्रकाश – Nitya Karma Puja Prakash
इस पुस्तक में व्यक्तिके लौकिक और पारलौकिक उत्थानके लिये तथा नित्य-नैमित्तिक काम्य कर्मोंके सम्पादनके लिये शास्त्रीय प्रक्रिया प्रस्तुत की गयी है।
प्रातःकालीन भगवत्स्मरणसे लेकर स्नान, ध्यान, संध्या, जप, तर्पण, बलिवैश्वदेव, देव-पूजन, देव-स्तुति, विशिष्ट-पूजन-पद्धति, पञ्चदेव-पूजन, पार्थिव-पूजन, शालग्राम-महालक्ष्मी-पूजनकी विधि तथा अन्तमें नित्यस्मरणीय स्तोत्रोंका संग्रह होनेसे यह पुस्तक सबके लिये उपयोगी तथा संग्रहणीय है।
नित्य कर्म पूजा प्रकाश
नित्य कर्म उन कर्मों (या अनुष्ठानों) को संदर्भित करता है जिन्हें हिंदुओं द्वारा प्रतिदिन किया जाना है [किसके अनुसार?]। हिंदू शास्त्र [जो?] कहते हैं कि नित्य कर्म न करने से पाप होता है। नित्य कर्मों में शामिल हैं:
- स्नान (स्नान)
- सांध्यवंदना
- देवतार्चनम्
- औपसनम
- अग्निहोत्रम
नित्य कर्म का अर्थ दैनिक कर्तव्य नहीं है। इसमें कोई भी नियमित/आवधिक अनुसूचित गतिविधियां/कर्तव्य शामिल हैं। जैसे: अमावस्या तर्पणम, ग्रहण तर्पणम, पितृ देवसम।
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