चैत्र नवरात्रि व्रत कथा 2025 Vrat Katha - Summary
चैत्र माह में मनाया जाने वाला त्योहार चैत्र नवरात्रि व्रत कथा के हिसाब से मनाया जाता है। यह पर्व मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा के लिए समर्पित होता है। इस साल चैत्र नवरात्रि 30 मार्च 2025 से शुरू होकर 7 अप्रैल तक चलेगा। माना जाता है कि अगर आप इस व्रत को सच्चे मन से रखते हैं तो मां दुर्गा की कृपा से आपकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और उपवास से खास लाभ मिलते हैं।
चैत्र नवरात्रि व्रत कथा और महत्व PDF डाउनलोड के लिए उपलब्ध
नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। शास्त्रों के मुताबिक, मां दुर्गा शक्ति का स्वरूप हैं, इसलिए नवरात्रि को शक्ति पूजा के रूप में जाना जाता है। जो भक्त नवरात्रि व्रत रखते हैं, उन्हें मां दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है जिससे वे सभी परेशानियों से बच जाते हैं। नवरात्रि व्रत कथा और आरती PDF Hindi में पूरी जानकारी मिलती है।
चैत्र नवरात्रि व्रत कथा 2025 – मुख्य कथा और विवरण
नवरात्रि व्रत कथा बताती है कि बृहस्पति जी ने ब्रह्माजी से इस व्रत के महत्व और लाभ के बारे में पूछा था। ब्रह्माजी ने कहा कि जो कोई भी इस व्रत का पालन करता है, उसे पुत्र सुख, धन, विद्या, और समृद्धि के साथ-साथ बीमारी से भी आज़ादी मिलती है। यह व्रत सभी पापों को मिटा देता है।
कथा में एक ब्राह्मण पीठत और उसकी बेटी सुमति की कहानी आती है, जो मां दुर्गा की बहुत श्रद्धालु भक्त थी। मुश्किलों के बीच मां दुर्गा ने सुमति को प्रसन्न होकर उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी कीं। यह कथा भक्तों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
चैत्र नवरात्रि पूजा की विधि और PDF डाउनलोड के फायदे
- नवरात्रि के पहले दिन घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक बनाएं और आम के पत्तों का फहराना लगाएं। इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
- मां दुर्गा की मूर्ति को लकड़ी की चौकी पर स्थापित करें और स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं।
- पूजा स्थल को साफ रखें और रोली तथा अक्षत से माता को टीका लगाएं।
- उत्तर या ईशान कोण को पूजा के लिए सबसे शुभ दिशा माना गया है।
- कलश पर नारियल रखने के समय शास्त्रों का ध्यान रखें।
नवरात्रि के नौ दिन व्रत कथा और पूजा अनुसूची 2025
पहला दिन (30 मार्च) – मां शैलपुत्री पूजा: घट स्थापना के बाद मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है।
दूसरा दिन (3 अप्रैल) – मां ब्रह्मचारिणी पूजा: मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा।
तीसरा दिन (4 अप्रैल) – मां चंद्रघंटा पूजा: चंद्रघंटा के दिव्य स्वरूप की पूजा।
चौथा दिन (5 अप्रैल) – मां कुष्मांडा पूजा: शक्तिशाली कुष्मांडा देवी की पूजा।
पाँचवां दिन (6 अप्रैल) – मां स्कन्दमाता पूजा: भगवान स्कन्द के साथ मां स्कन्दमाता की पूजा।
छठा दिन (7 अप्रैल) – मां कात्यायनी पूजा: नवरात्रि की षष्ठी को कात्यायनी की पूजा।
सातवां दिन (8 अप्रैल) – मां कालरात्रि पूजा: शक्तिशाली कालरात्रि की पूजा।
आठवां दिन (9 अप्रैल) – मां महागौरी पूजा: दुर्गा अष्टमी के दिन महागौरी की पूजा।
नौवां दिन (10 अप्रैल) – मां सिद्धिदात्री पूजा और राम नवमी: राम नवमी के साथ सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।
चैत्र नवरात्रि कलश स्थापना के बाद चौकी की स्थापना
- लकड़ी की चौकी को गंगाजल या साफ पानी से धोकर शुद्ध करें।
- लाल कपड़ा बिछाकर चौकी पर कलश रखें।
- मां दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें और लाल चुनरी ओढ़ाएं।
- धूप, दीप, इत्र, फल और पूजा का सामान अर्पित करें।
- दुर्गा सप्तशती और स्तोत्रों का पाठ करें और आरती करें।
- नवरात्रि के नौ दिनों तक अखंड दीप जलाएं।
चैत्र नवरात्रि 2025 व्रत के नियम
- शुभ समय पर कलश स्थापना करें और नौ दिनों तक पूजा विधि से करें।
- कलश के पास मिट्टी भरकर जौ बोएं और रोज पानी देते रहें। इसे मां दुर्गा की कृपा माना जाता है।
- नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा का झंडा लगाएं।
- पूजा के दौरान लाल कपड़े और आसन का इस्तेमाल करें।
- मां दुर्गा को लौंग और बताशे का भोग लगाएं, तुलसी और दूर्वा का इस्तेमाल न करें।
- सुबह और शाम पूजा करें और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
- अगर उपवास पूरा नहीं रख पाएं तो कम से कम एक बार व्रत के दिन कथा जरूर सुनें।
नवरात्रि आरती – मां दुर्गा की आरती
जय अंबे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी। तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
ओम जय अंबे गौरी
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आप इस चैत्र नवरात्रि व्रत कथा PDF को डाउनलोड कर सकते हैं और पूजा में इस्तेमाल कर सकते हैं।