नमाज की किताब हिंदी - Summary
इस्लाम में नमाज पढ़ना बहुत जरूरी है। नमाज की किताब हिंदी में बताती है कि नियमित रूप से नमाज अदा करने से व्यक्ति को सवाब मिलता है, जबकि इसे अनदेखा करने पर गुनाह होता है। रमजान को अल्लाह की तरफ से इनाम का महीना माना जाता है। नमाज, इस्लाम के 5 स्तंभों में से एक है, और इस्लाम में 5 वक्त की नमाज (फर्ज) जरूरी समझी जाती है।
हर मुस्लिम व्यक्ति के लिए रोजाना 5 बार नमाज पढ़ना अनिवार्य है। सुबह की पहली नमाज को नमाज-ए-फजर कहा जाता है। यह नमाज सूरज के उगने से पहले पढ़ी जाती है, जिसमें 4 रकअत होती हैं, जिन्हें 2-2 करके अदा किया जाता है।
नमाज की किताब हिंदी में – Namaz Ki Kitab Hindi
1. नमाज की शर्ते
नमाज की कुछ शर्तें हैं, जिनका पूरा करना आवश्यक है। इनमें से कुछ शर्तें सही नमाज अदा करने के लिए जरूरी हैं। नमाज पढ़ते समय ये शर्तें पूरी होनी चाहिए। नमाज की कुल शर्तें इस प्रकार हैं:
- बदन का पाक होना
- कपड़ों का पाक होना
- नमाज पढ़ने की जगह का पाक होना
- बदन के सतर का छुपा हुआ होना
- नमाज का वक्त होना
- किबले की तरफ मुह होना
- नमाज की नियत यानि इरादा करना
ध्यान दें कि पाक होना और साफ होना दो अलग चीजें हैं। पाक होना शर्त है, जबकि साफ होना शर्त नहीं है। जैसे, शरीर, कपड़ा, या जमीन नापाक चीजों से भरी न हो। धूल-मिट्टी से साफ नहीं होना कहा जा सकता है, लेकिन वह पाक है।
1. बदन का पाक होना
– नमाज पढ़ने के लिए शरीर का पूरी तरह पाक होना जरूरी है। यदि शरीर पर कोई नापाकी लगी है, तो वजू या गुस्ल कर के नमाज पढ़ी जानी चाहिए।
2. कपड़ों का पाक होना
– नमाज पढ़ने हेतु पहने हुए कपड़े का पूरी तरह पाक होना जरूरी है। यदि कपड़ों पर नापाकी है, तो उन्हें धो लेना चाहिए या दूसरा कपड़ा पहनकर नमाज पढ़ लेना चाहिए।
3. नमाज पढ़ने की जगह का पाक होना
– नमाज पढ़ने वाली जगह पूरी तरह पाक होनी चाहिए। यदि वहां कोई गंदगी या नापाकी हो, तो जगह को धो लें या दूसरी जगह नमाज पढ़ें।
4. बदन के सतर का छुपा हुआ होना
– नाफ़ के नीचे से लेकर घुटनों तक का हिस्सा मर्द का सतर माना जाता है। नमाज में यह हिस्सा दिखने पर नमाज सही नहीं मानी जा सकती।
5. नमाज का वक्त होना
– नमाज पढ़ने के लिए उसके वक्त का होना जरूरी है। वक्त से पहले कोई भी नमाज नहीं पढ़ी जा सकती, और वक्त के बाद पढ़ी गई नमाज कज़ा मानी जाएगी।
6. किबले की तरफ मुह होना
– नमाज किबला की ओर मुंह करके पढ़ने चाहिए। मस्जिद में तो इस बात की चिंता नहीं होती, लेकिन अकेले नमाज पढ़ते समय किबले की तरफ मुह करना आवश्यक है।
7. नमाज की नियत यानि इरादा करना
– नमाज पढ़ते समय इरादा करना चाहिए कि आप नमाज पढ़ रहे हैं।
2. वजू का तरीका
नमाज के लिए वजू करना आवश्यक है। वजू के बिना आप नमाज नहीं पढ़ सकते। वजू का तरीका यह है कि आप वजू का इरादा करें और बिस्मिल्लाह कहें, फिर इस प्रकार वजू करें:
- कलाइयों तक हाथ धोएं
- कुल्ली करें
- नाक में पानी डालें
- चेहरा धोएं
- दाढ़ी में खिलाल करें
- दोनों हाथ कुहनियों तक धोएं
- सर और कानों का मसाह करें। (यहां, हाथों को गीला कर एक बार सिर और दोनों कानों पर फेर लें।)
- दोनों पांव टखनों तक धोएं।
यह वजू का तरीका है। इस तरीके से वजू करते समय हर हिस्सा कम से कम एक बार और अधिकतम तीन बार धोया जा सकता है। लेकिन मसाह एक ही बार करना है। इससे ज्यादा बार धोना पानी की बर्बादी मानी जाएगी, जो इस्लाम में पसंद नहीं है।
3. गुस्ल का तरीका
यदि आपने अपने पत्नी से सोहबत की है, या रात में आपको अहेतलाम हुआ है, या आप लंबे समय से नहाए नहीं हैं, तो आपको गुस्ल करना जरूरी है। ऐसी स्थिति में गुस्ल के बिना वजू नहीं किया जा सकता। गुस्ल का तरीका इस प्रकार है:
- दोनों हाथ कलाइयों तक धो लें
- शर्मगाह पर पानी डालकर धो लें
- सभी कार्य ऐसे ही करें, जैसे वजू में करते हैं
- कुल्ली करें
- नाक में पानी डालें
- और पूरे शरीर पर पानी डालें (आगे और पीछे दोनों तरफ)
- सर धो लें
- हाथ और पांव धो लें।
यह गुस्ल का तरीका है। ध्यान दें कि ठीक वजू की तरह गुस्ल में भी शरीर के किसी भी हिस्से को ज्यादा से ज्यादा 3 बार धोया जा सकता है। क्योंकि पानी का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल इस्लाम में सही नहीं माना गया है।
नमाज की किताब हिंदी में आपको नमाज पढ़ने के सही तरीके, वजू और गुस्ल के तरीकों के बारे में जानकारी देती है। आप इसे PDF फॉर्मेट में डाउनलोड कर सकते हैं।